कंजक
कंजक
मंदिर को सजाया गया है, आस-पास भी सफाई करवा कर चूने का छिड़काव कर दिया गया है। सारी व्यवस्था का मुआयना कर लिया गया, कार्यकर्ताओं ने आल डन कर दिया!
आज नेता जी कंजक यानी कि कन्या भोज के लिए आने वाले है। सभी कार्यकर्ता एक दिन पहले आ कर सारे इंतज़ाम देख गए थे, मंदिर में घूमने वाली छोटी गरीब तबके की कन्याओं को इकट्ठा कर के कह दिया गया कि कल थोड़ा साफ सुथरे बन के आना, टीवी पर फोटो आएगी।
नेता जी आ गए। सब कार्यक्रम अच्छे से निपट गया। कन्याओं को एक-एक छोटा मिठाई का डब्बा व तौलिया नुमा कुछ दिया गया। मीडिया भी खूब सारे फोटो वीडियो ले के खुश है। पूरे दिन की न्यूज़ का मसाला मिल गया है टीवी मीडिया वालो को।
सब अच्छे से निपटा कर नेता जी चल दिये, चेहरे पर विजय के भाव है। अचानक पता नहीं कहाँ से एक सात-आठ वर्ष की बच्ची, अपनी गोद में नौ-दस महीने की बच्ची को पकड़े हुए दौड़ती आई नेता जी से चिपट गई।
"बाबू जी बाबू जी हम रह गए हमें भी दो मिठाई।" वो बच्ची नेता जी का उजला कुर्ता पकड़ कर गिड़गिड़ाने लगी।
"चल हट्ट!!!" कहकर नेता जी ने उस बच्ची को धक्का दे दिया। और फिर कार्यकर्ताओं की तरफ आँखें तरेरते हुए बोले-
"यही है सुरक्षा व्यवस्था तुम सब की?"
नेता जी गुर्राते हुए अपनी गाड़ी में बैठ कर धूल उड़ाते चले गए और टीवी पर दिन भर नेता जी की सरलता का बखान चलता रहा।