Sushil Pandey

Others

4.4  

Sushil Pandey

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...की कक्षा की बालसभा नहीं बल्कि लोक सभा है ये प्रधानमंत्री जी!

...की कक्षा की बालसभा नहीं बल्कि लोक सभा है ये प्रधानमंत्री जी!

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मिले फुर्सत गर ठहाकों से तो कहना!

संजीदगी से कुछ बाते भी करनी हैं तुमसे!!


क्या करूँ मेरे मन में बरबस ही आपको देखते ही ये ख्याल आता है जैसे किसी मिडिल स्कूल का कोई बदमाश बच्चा जो पढ़ने में ठीक न भी हो तो भी शिक्षिका में नजर में सबसे अच्छा बनकर रहता है।


सिर्फ दूसरों की गलतियां उजागर करके, जो असल में गलती होती भी नहीं हैं, वो खुश करता है शिक्षकों को, उनसे बेमतलब की बातें करके, वो हंसाता है किसी और का मजाक उड़ा के या फिर मामूली बात को भी अतिआवश्यक बताकर।

शिक्षक उसका मन रखने के लिए हंसी न आने पर भी हँसता है अबोध बालक समझकर, मैं क्षमा चाहता हूँ श्रीमान आप उसी बदमाश बच्चे से प्रतीत होते हैं मुझे?


मैं कल आपका एक वीडियो देख रहा था जिसमें आप राहुल गाँधी जी के आँख मारने वाले वाक्ये पर हंस हंस के बातें कर रहे थे वो भी लोक सभा में। क्या आपको ठीक लगता है श्रीमान की देश के प्रधानमंत्री का किसी जनता द्वारा चुन के आये प्रतिनिधि का मजाक उड़ाना वो भी भरी सभा में।

और सबसे बड़ी बात संसार के सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया के पास क्या इतना वक्त है? कि वो लोकसभा में किसी के आंख मारने जैसी छोटी बात पर 15 मिनट खर्च कर देता है, किसी को सूर्पनखा किसी को मुस्लिम घोषित करने में लोकसभा के माननीय सदस्यों की ऊर्जा खराब कर देता है।


आप के समक्ष किसी के बोलने की हिम्मत तो नहीं है पर फिर भी मुझे लगता है की अगर मैं होता लोक सभा अध्यक्ष तो जरूर टोक देता आपको की कक्षा की बालसभा नहीं बल्कि लोक सभा है ये प्रधानमंत्री जी! जिन संवैधानिक प्रक्रियाओं को पार करके आप आये हैं उनको भी यहाँ तक पहुंचने में इन्हीं चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

उनकी गलती सिर्फ ये है की लोकसभा में आपका विरोध करने की क्षमता सिर्फ उनमें ही है आपके लोगों ने उनको पप्पू नाम दे दिया है, आप के लोगों ने सोशल मिडिया पर उनको मुस्लिम घोषित कर रखा है, उनका मंदिर जाना, उनका जनेऊ पहनना, उनका बोलना आपके लिए मजाक का विषय बन जाता है।


उनके आलू से सोना बनाने वाले बयान पर मजाक बना के रख दिया आपके लोगों ने उनका, पर उनके कहने का मतलब भी कहिये कभी समझने को आपके लोगों से 10/- रुपए प्रति किलोग्राम बिकने वाले आलू का अगर 1000 ग्राम चिप्स बनाकर 1000 रुपये में बेचें तो हुआ ना सोने सा वो आलू भी असल में। तो क्या गलत या मजाक की वस्तु थी इसमें?

उनके बोलने पर आपके गृह मंत्री, आपके महिला एवं बाल विकास मंत्री का आक्रोशित होना, हो सकता है ये आप और आपके लोगों को अच्छा भी लगता होगा पर मेरी नजर में सभा की मर्यादा को तार तार कर देने जैसा है कैसे ये लोक सभा अध्यक्ष को टीसता नहीं है स्वस्थ संवाद को सम्पादित करने में श्रीमान।


उठ रहा है अंदर ये, भूचाल कैसा बताओ तो,

सुना है तुम हाकिम मेरे, समझदार बहुत हो!

कैसे चुकाओगे, उन आंसुओं की कीमत अब,

खबर तो है की तुम, पहले ही कर्जदार बहुत हो!!


आप कहते हैं न की देश बदल रहा है तो सच में देश बदल रहा है राजनेताओं के साथ-साथ अब देश की जनता को भी EVM पर अविश्वास होने लगा है। क्यों नहीं बदल देते चुनाव प्रणाली को आप श्रीमान माना गलत है ये मांगे मानना उचित नहीं है फिर भी उनके विश्वास को लोकतंत्र पर बनाये रखने के लिए बदल दीजिये श्रीमान।


आप श्रीराम की बात करते हैं न तो कम से कम श्रीराम के पद चिन्हों पर एक कदम ही चलने की कोशिश कर लीजिये श्रीराम ने तो एक साधारण नागरिक के विश्वास के लिए माँ सीता को ही वन में भेज दिया था। तो क्या आप चुनाव प्रक्रिया को नहीं बदल सकते?


बदलिये श्रीमान इस चुनाव प्रणाली को बदल दीजिए!


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