Shakuntla Agarwal

Others

4.3  

Shakuntla Agarwal

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ख़ौफ़

ख़ौफ़

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घर की घंटी बजते ही, गोयल साहब बाहर की तरफ़ दौड़े, जैसे वो तैयार बैठे थे कि कोई अनर्थ ना हो जाये,

उन्होंने मेज़ पर जो पैसे रखे थे, वो हाथ में लिये और बाहर की तरफ़ दौड़े।

अरे! मुझे पता था कि तुम ही होगी, बाई जी, दरवाज़े को हाथ मत लगाना,

सुना है! कोरोना का वायरस मैटल पर बारह घंटे रहता है। मैंने दरवाज़े और कुण्डियों को अभी - अभी सैनिटायेज़ किया है।

मैं नहीं चाहता कि तुम उनको अभी छुओ। गेट के ऊपर से ही बाईजी को, थैले में जो पैसे रखे हुए थे, देकर अलविदा कह दिया, कि आप इक्कीस दिन तो बिल्कुल मत आना, बाद की बाद में देखेंगे।


   


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