STORYMIRROR

Savita Gupta

Children Stories

4  

Savita Gupta

Children Stories

कौआ मामा

कौआ मामा

2 mins
263


"काँव ,काँव" ...

"क्या बात है?कौन आ रहा है?" दादी को कौए से बातें करते सुन छ: साल की सुनयना पूछ बैठी "क्या हुआ दादी किससे बात कर रही हो?"

"देख न पोतियाँ कौआ मामा आ गए संदेशा लेकर ...ये जब आँगन में आकर काँव काँव करते हैं न तो ज़रूर कोई घर में मेहमान आते हैं...”

"अच्छा!इसे कैसे पता चलता है?" सुनयना ने प्रश्न किया।

"अरे ! ये अंतर्यामी होते हैं।इनकी छटी इंद्रियाँ बहुत जागृत होती है।पहले के जमाने में तो कबूतर डाकिया का काम करता था।"

"डाकिया?ये क्या होता है?" सुनयना ने दादी से फिर प्रश्न किया।

"वो अब तो मोबाइल से बात चीत हो जाती है न आज से दस साल पहले तो किसी को कुछ जानना ,पूछना या हाल -चाल लेना होता था तो चिट्ठी लिखी जाती थी और एक सरकारी आदमी जिसे डाकिया कहा जाता है वह उस चिट्ठी को अपने गंतव्य पर पहुँचाता था।"

"बाप रे!कैसे इतनी दूर जाते होंगे।पैर दुख जाता होगा।”है ना दादी!

"अम्मा आजकल रोज़ कौआ आता है,बोलता है दाना चुगता है और फुर्र ...कहाँ कोई आता है?" रवि ने पीछे से आकर हँसते हुए बोला।

"अब कौआ मामा को क्या पता कि कोरोना बीमारी आई हुई है कोई किसी के घर आता जाता नहीं।यह सब बुजुर्गों द्वारा मनगढ़ंत कहानी है बेटा।"



Rate this content
Log in