कैसे न कहे कोई कि लोकतंत्र खतरे मे है?
कैसे न कहे कोई कि लोकतंत्र खतरे मे है?


सच दीवानगी का ये भी ग़जब सिलसिला रहा है।
काटा गला उसी ने और फ़ातिहा भी पढ़ रहा है।।
आपका जनता वत्सल होना क्यों सिर्फ दिखावा सा लगता है मुझे, यहां जान पर बन आई है और अखिल भारतीय रेडियो गिलगित और बल्टीस्तान के मौसम का हाल बता रहा है क्या होता है इससे समझ से परे है, हो सकता है पाकिस्तान को डराकर कोरोना संक्रमितों की संख्या में कुछ गिरावट आ रही हो? पर ऐसा महसूस नहीं हुआ अभी तक।
सच आपके आने के बाद से एक काम बिल्कुल ठीक-ठीक हुआ है और वो ये कि 150 साल पुराने राजनैतिक दल के मुखिया का धर्म परिवर्तन करा दिया है आपकी पार्टी के लोगों ने और हां ये मैने महसूस भी किया है।
इतना व्यक्तिगत छींटाकशी मैने नहीं देखा था 2014 के पहले। मुझे नहीं कहना चाहिए ये सब, मैं जानता हूं पर सच मानिए आत्मा व्यथित होती है सब सुन-सुनकर।
जो सैकड़ों सालों से हिंदू के तौर पर जाना जाता है उसे आपके छुटभैयों ने सोशल मीडिया पर मुस्लिम घोषित कर रखा है मतलब आप मुस्लिम समुदाय को कमतर करके आंकते हैं तो फिर निकाल क्यों नही देते उन्हे देश से ही।
2014 के बाद से ऐसा क्या अच्छा हुआ है सिर्फ सर्जिकल स्ट्राइक और 370/35A को छोड़ दें तो?
बेरोजगारी दर बढती जा रही है 2014 के बाद से बेरोजगारों ने रोजगार समाचारों की सुचनायें देखना बंद कर दिया है? वैसे सरकार ने भर्तीयां भी निकालना कम कर दिया है?
एक बात तो है आप लोग विरोधियों को खत्म करने में माहिर हैं संसद में विपक्ष कुछ बोलने की स्थिति में है नहीं।
और बाहर मिडिया को आप बोलने देते नही हैं जो पत्रकार बोलता है उसको चैनल से निकाल दिया जाता है तो फिर फर्क कहां रहा उत्तर कोरिया और भारत मे जनाब।
कैसे न कहे कोई कि लोकतंत्र खतरे मे है?
और हां एक रिवाज और प्रारंभ हो गया है आज के बदलते भारत में Mob lynching. सिर्फ भाषण सुनने के लिये मशहूर भारत की जनता रेफ्रिजरेटर मे रखे मांस के टुकड़े को गाय का होने के संदेह मात्र से पीट-पीटकर मार देती है एक जीते-जागते इंसान को।
सारी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो रहीं हैं श्रीमान पुलिस का काम गुण्डे-मवाली कर रहे है तभी तो राह चलते अभिषेक को पुलिस गोली मार देती है।
अदालतों की कार्यवाही जनता सम्भाल रही है तभी तो सुप्रीम कोर्ट के जजों को भी न्याय के लिए जनता की शरण मे जाना पड़ा।
क्या करेंगे इस शौर्य का हम सर, पाकिस्तान से लाहौर छिनने की जगह हम अपनी शक्ति सभ्य समाज की स्थापना मे लगायें तो बेहतर होगा।
कैसे हुई थी भूल वो हमसे, और गये हम कैसे चूक,
मारा है वो तीर जो तुमने, ठीक निशाना रहा अचूक।
बीस लाख करोड़ को तुमने सही बनाया ढाल प्रभु,
राष्ट्रहीत संदेश मे तुमने, दिया बिगुल चुनावी फूंक।।