Priyanka Gupta

Others

4  

Priyanka Gupta

Others

जो होता है अच्छे के लिए होता है

जो होता है अच्छे के लिए होता है

8 mins
440


"तुम आज भी उतने ही घटिया इंसान हो ,जितने कल थे। अच्छा ही हुआ ,जो मैंने अपने मम्मी -पापा के मशविरे को मानकर तुमसे शादी से इंकार कर दिया। ",रूही ने रचित से कहा। 

"और ,तुम क्या कह रहे थे ?मेरे पति अभिनव को सब बता दोगे? तुम क्या बताओगे ;अभिनव को तो पहले से ही सब पता है। मैंने शादी से पहले ही अभिनव को तुम्हारे बारे में सब बता दिया था। ",रूही बोलते -बोलते हाँफने लगी थी। 

" अगर सब बता दिया था तो यहाँ क्या करने आयी थी ?",रचित ने कहा। 

"तुम्हारी कल की हरकत का जवाब देने आयी थी। जवाब कल भी होली की पार्टी के दौरान दे सकती थी। लेकिन तुम्हारी पत्नी को सबके सामने शर्मिंदा नहीं करना चाहती थी। ",रूही ने रचित से कहा। उसके साथ ही रूही का हाथ रचित के गालों पर था ,तड़ाक की तेज़ आवाज़ पूरे कैफ़े में गूँज उठी थी। वहाँ बैठे लोगों की नज़रें रचित और रूही की टेबल की तरफ उठ गयी थीं। 

सभी ने रचित को अपना गाल सहलाते हुए और रूही को आत्मविश्वास से जगमगाते चेहरे के साथ कैफ़े से बाहर निकलते हुए देखा। 

रूही ने बाहर आकर कैब बुक की और कैब का इंतज़ार करने लगी। कैब 5 मिनट में आ गयी थी। रूही का अपने ऑफिस जाने का मन नहीं था ;इसलिए उसने ड्राप लोकेशन के लिए अपने घर का पता ही डाल दिया था। कैब में बैठने के थोड़ी देर बाद रूही जब सामान्य हुई ;तब उसका मन कैब से भी तेज़ रफ़्तार दौड़ने लगा और उसे उसके कॉलेज के दिनों में ले गया। कॉलेज में रूही और रचित दोनों अच्छे दोस्त थे और धीरे -धीरे उनकी दोस्ती प्यार में बदल गयी थी। 

रचित द्वारा रूही पर अधिकार जताना रूही को शुरू -शुरू में बहुत अच्छा लगता था। लेकिन धीरे -धीरे यह अधिकार जताना तानाशाही में बदलने लगा। रचित रूही की ज़िन्दगी के हर छोटे से छोटे फैसले में हस्तक्षेप करने लगा था। रचित रूही पर गुस्सा करने लगा था ,उस पर चिल्लाता भी था। रूही ने कॉलेज के वार्षिक उत्सव में एक समूह नृत्य में भाग लिया था ;उस दिन रचित ने रूही पर बहुत गुस्सा किया था। 

"तुम्हें नाचते हुए ज़रा भी शर्म नहीं आयी। सभी लड़के घूर -घूर कर तुम्हें ही देख रहे थे। अपने ड्रेस देखी है ;सब कुछ नज़र आ रहा था। ",रचित रूही पर चिल्लाये जा रहा था। 

रूही को समझ नहीं आ रहा था कि रचित के साथ क्या समस्या है ?पहले तो सब कुछ ठीक था। अपने और रचित के रिश्ते को लेकर उसके मन में संशय के बादल छाने लगे थे। लेकिन वह रचित से भावनात्मक रूप से इतना ज्यादा जुड़ी हुई थी कि उससे दूर होने या उसे छोड़ने की कल्पना भी नहीं कर सकती थी। 

रिश्तों के गडमड के मध्य ही होली का त्यौहार आया। रूही ने रचित को अपने घर पर बुलाया था। रूही के कुछ और फ्रेंड्स भी आये थे। होली की हंसी -ठिठोली जारी थी। रूही के एक फ्रेंड ने रूही के गाल पर रंग लगा दिया। इसको लेकर रचित ने रूही से झगड़ा शुरू कर दिया। 

"रचित ,तुम मेरे घर पर मेहमान हो। हम अपनी यह समस्या कल सुलझा लेंगे। अभी यहाँ तमाशा मत करो। ",रूही ने रचित को समझाने के कोशिश की। 

रचित ने वहीँ रूही को सबके सामने एक तमाचा जड़ दिया। रूही ने रचित को अपने मम्मी-पापा से मिलवाने के लिए बुलाया था। लेकिन रचित की इस हरकत से वहाँ मौजूद सभी व्यक्ति सकते में थे। रचित वहाँ से जा चुका था। 

पार्टी के बाद रूही के मम्मी -पापा ने रूही को कहा कि ,"बेटा ,यह रचित तुम्हारी जैसी महत्वाकांक्षी लड़की के लिए सही नहीं है। वाकई में ,इसके जैसा शक्की लड़का किसी भी लड़की के लिए सही नहीं है। तुम्हें अपने निर्णय पर एक बार फिर विचार करना चाहिए। "

रूही ने अपने मम्मी-पापा की बात को न मानकर ,अपने और रचित के रिश्ते को एक और मौका देने का निर्णय लिया । रूही MBA करना चाहती थी और उसको दूसरे शहर के अच्छे कॉलेज में प्रवेश भी मिल गया। कॉलेज देश के कुछ गिने-चुने अच्छे कॉलेज में शुमार था। रूही और उसके मम्मी-पापा बहुत ही खुश थे। रूही ने जब रचित को अपने प्रवेश के बारे में बताया तो रचित अपना आप ही खो बैठा। 

"तुमने प्रवेश लेने एक बार भी मुझसे पूछना जरूरी नहीं समझा ? अकेली लड़की अपना शहर छोड़कर दूसरे शहर में कैसे रहेगी ? तुम्हारे मम्मी-पापा को भी एक पैसे की अक्ल नहीं है।जवान बेटी को कौन घर से बाहर अकेले भेजता है ?",रचित गुस्से में बोले जा रहा था। 

"रचित तुम्हें मैंने बताया था। मेरे मम्मी-पापा के बारे में एक भी लफ्ज और नहीं। जब अकेला लड़का बाहर जाकर पढ़ सकता है ,नौकरी कर सकता है तो लड़की क्यों नहीं ?हर बार लड़की के ही पंख क्यों कतरे जाएँ। ",रूही ने कहा। 

"हैलो ,ये बातें महिला दिवस पर करो तब ही अच्छी लगती हैं ,असल ज़िन्दगी में नहीं। मैं यह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता कि मेरी होने वाली पत्नी अकेली अनजान जगहों पर घूमे। ",रचित ने बेशर्मी से कहा। 

"रचित ,हम शादी करेंगे या नहीं ;यह तुमने अकेले ने ही तय कैसे कर लिया ?",रूही ने आश्चर्य से पूछा। 

"अकेले का क्या है ?जब प्यार करते हैं ,तो शादी तो करेंगे ही न। ",रचित ने रूही के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। 

"रचित मुझे ऐसा प्यार नहीं चाहिये और न ही ऐसा रिश्ता चाहिये ;जिसमें एक कहे और दूसरा बस सुनता रहे ,एक मालिक हो और दूसरा ग़ुलाम ,एक कैदी हो और दूसरा जेलर। मुझे तुम्हारा साथ घुटन दे रहा है। तुम्हारे ये बंधन मुझे मंजूर नहीं। आज से मैं तुमसे सारे रिश्ते तोड़ती हूँ। मेरे मम्मी-पापा ने तुम्हारे बारे में बिल्कुल सही कहा था। ",रूही ऐसा कहकर वहाँ से निकल गयी थी। रचित ने उसे रोकने की कोशिश भी नहीं की। रूही दूसरे शहर में पढ़ने के लिए चली गयी थी। कुछ समय बाद रूही के पापा का ट्रांसफर भी दूसरी जगह हो गया था। वह शहर और उस शहर से जुड़ा हर शख्श पीछे छूट गया था। 

एम बी ए के बाद रूही एक कंपनी में जॉब करने लग गयी थी और जॉब के दौरान अभिनव से मुलाक़ात हुई एवं दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। दोनों के घरवालों ने भी हँसी -ख़ुशी इस रिश्ते को रजामंदी दे दी। रूही ने अभिनव को अपने अतीत के बारे में सब कुछ बता दिया था और अभिनव को उससे कोई समस्या नहीं थी। उसने सिर्फ इतना कहा कि ,"रूही ,तुम्हारा अतीत तुम्हारे वर्तमान और भविष्य के आड़े नहीं आना चाहिए। कल क्या हुआ ?उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता ;कल क्या होगा ?मेरे लिए उसके ज़्यादा मायने हैं। "

रूही और अभिनव अपनी ज़िन्दगी में खुश थे। कल अभिनव के ऑफिस में होली के अवसर पर उत्सव रखा गया था ;जिसमें सभी को परिवार के साथ आमंत्रित किया गया था। इसीलिए रूही भी अभिनव के साथ आयी थी। वहीँ रूही को अपना अतीत रचित नज़र आया था। 

रूही अपने अतीत को छोड़कर बहुत आगे बढ़ गयी थी ;इसीलिए उसने रचित का औपचारिक अभिवादन किया। लेकिन रचित बिलकुल नहीं बदला था। 

 रचित की पत्नी भी उसके साथ ही थी। वह एकदम चुपचाप रचित के पास ही खड़ी थी। होली की पार्टी थी ,लेकिन उसके कपड़ों पर रंग नहीं था और न ही वह किसी से हँस बोल रही थी। 

"यह मेरे कॉलेज की दोस्त है ,रूही। ",ऐसा कहकर रचित ने रूही का परिचय अपनी पत्नी से कराया। 

"जी ,नमस्ते। ",ऐसा कहकर वह चुप्पी लगा गयी थी। 

उसकी चुप्पी में अहंकार नहीं था ;बल्कि डर था। रचित ने अपनी पत्नी पर कई तरीके की रोक -टोक लगा रखी थी।

 "तुम तो अब और भी ख़ूबसूरत हो गयी हो। ",रचित ने दाँत निपोरते हुए रूही से कहा। 

"हम्म ,तुम भी बिलकुल नहीं बदले हो। ",रूही ने कहा। 

रूही उसके बाद दूसरे लोगों से मिलने जुलने लग गयी थी। थोड़ी देर बाद रचित रूही के पास आया और कहा कि ,"अभी तो मैं निकलता हूँ। कभी फुर्सत में मिलते हैं। ",अपनी बात ख़त्म करते हुए रचित ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया था। रूही ने उससे हाथ मिलाने के लिएअपना हाथ आगे बढ़ा दिया। रचित ने रूही के हाथ में एक पर्ची पकड़ा दी थी। 

रचित के मुड़ने के बाद रूही ने वह पर्ची खोली तो उसमें लिखा था कि ,"कल मुझे दोपहर में विन्नी कैफ़े में मिलो ;नहीं तो तुम्हारे पति को बता दूँगा। "

रचित की हरकत पर रूही को क्रोध तो ऐसा आ रहा था कि ,जाते हुए रचित को रोककर यहीं उसे दो तमाचे जड़ दे। लेकिन फिर उसने मौके की नज़ाकत को समझते हुए अपने आपको रोक लिया। 

कुछ देर बाद अभिनव और रूही भी अपने घर के लिए निकले। रूही ने अभिनव को रचित की लिखी हुई पर्ची दिखाई। 

 रूही को अभिनव ने बताया कि ,"रचित ने अपने परिवार को पार्टी में लाने से बिलकुल मना कर दिया था। "

अभिनव ने यह भी बताया कि ,"रचित साथ काम करने वाली लड़कियों पर भी फब्ती कसता रहता है। उसका मानना है कि बाहर काम करने वाली लड़कियाँ चरित्रहीन होती हैं। रचित तो एक घटिया और ओछी मानसिकता का पुरुष है। तुम उसकी बातों से अपना दिमाग खराब मत करो। उसे न तो खुद किसी त्यौहार में कोई रूचि है और न ही दूसरों को ठीक से मनाने देता है। "

"हम्म ,तुम सही कह रहे हो। ",रूही ने कहा। 

"फिर तुमने क्या सोचा है ?इगनोर करो। ",अभिनव ने कहा। 

"नहीं ,उससे मिलने जाऊंगी। उसे सबक जो सिखाना है। ",रूही ने कहा। 

"ठीक है ;तुम्हारे हर फैसले में मैं तुम्हारे साथ हूँ। ",अभिनव ने कहा। 

 "मैडम ,आपकी लोकेशन आ गयी है। ",ड्राइवर की आवाज़ से रूही अपने ख्यालों की दुनिया से हकीकत की दुनिया में वापस आ गयी थी। 

"भैया ,ऑनलाइन पेमेंट हो गया है। ",ऐसा कहते हुए रूही कार से उतर गयी थी। 

उसके डोरबैल बजाते ही अभिनव ने दरवाज़ा खोल दिया था। उसे देखते ही बोले ,"आ गयी मेरी झाँसी की रानी। क्या सबक सिखाया रचित को। "

"अरे यार ,अंदर तो घुसने दो। दरवाज़े पर ही सारी कहानी सुनोगे। ",रूही ने अंदर घुसते हुए कहा। 

सोफे पर बैठते हुए रूही ने कहा कि ," जो होता है ;अच्छे के लिए ही होता है। अब रचित से रिश्ता टूटने का मुझे तनिक भी अफ़सोस नहीं है। "इसके साथ ही रूही ने अभिनव को सारी घटना ज्यों की त्यों सुना दी थी। 

"रचित तुम्हारा तमाचा ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगा। ",अभिनव ने कहा। 

"हाँ ,शायद एक तमाचा उसे लड़कियों की इज़्ज़त करना सिखा दे। ",रूही ने कहा। 


Rate this content
Log in