STORYMIRROR

MS Mughal

Others

4  

MS Mughal

Others

जंगल का दस्तूर

जंगल का दस्तूर

2 mins
429

हर एक से हर एक मस्तूर होते हैं 

वीरानों के भी कई दस्तूर होते हैं 


मस्तूर ( छुपे हुए ) दस्तूर ( नियम ) 


कही पंछी एक डाल से दूसरी डाल पर कहकहा लगाते हैंं तो कहीं

वीरानों में गजाल ( हिरन ) अपनी बू ए कस्तूर की ख़ोज में एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ एक कीनारे से दूसरे किनारे ता मर्ग ए दम ( मरते वक्त तक ) घूमते हैं 


हर एक से हर एक मस्तूर होते हैं 

वीरानों के भी कई दस्तूर होते हैं 


कहीं एक सांप चूहे के शिकार की फिराक में गस्त लगा कर बैठा हैं, तो कहीं एक गिद्ध आसमान से जमीन की ओर शिकार की फिराक में पर मारता हैं 

एक तरफ सांप चूहे का शिकार कर के खुद का पेट भरता हैं और गिद्ध उसी सांप का शिकार कर के अपना पेट भर लेते हैं 


हर एक से हर एक मस्तूर होते हैं 

वीरानों के भी कई दस्तूर होते हैं 


कहीं किसी नदी में नदी की रुपहेली मछलियां छोटे छोटे कीड़ों को खा कर अपनी ज़िंदगी गुजारती हैं तो कहीं छोटी मछलियों को बड़ी मछलीया खा कर अपनी ज़िंदगी गुजारते हैं 


हर एक से हर एक मस्तूर होते हैं 

वीरानों के भी कई दस्तूर होते हैं 


कहीं बिगड़ते हुए मौसम में एक ही छिपने की जगह पर शिकार और शिकारी साथ होते हैं 

तो कहीं एक और आगे शिकार और पीछे शिकारी होते हैं शाम से सुबह शिकार सुबह से शाम शिकार होते रहते हैं 


हर एक से हर एक मस्तूर होते हैं 

वीरानों के भी कई दस्तूर होते हैं ।



Rate this content
Log in