जमीन
जमीन
घर का पता बताकर, सुनंदा जैसे ही घर के लिए ऑटो में बैठी ऑटो ड्राइवर ने बताया- " मैडम जी पहले कभी उस जमीन पर हमारा घर हुआ करता था"।
" तो फिर अब क्यों नहीं है"? "जमीन पर बार-बार पानी आ जाने की वजह से हमने जमीन के कागजात एक जमींदार के पास सुरक्षित रखने के इरादे से दे रखे थे, लेकिन उसने मौके का फायदा उठाकर हमें सूचित किए बिना ही जमीन आपकी बिल्डिंग के बिल्डर को बेच दी, हमने पुलिस केस भी किया, लेकिन "जिसकी लाठी उसकी भैंस", हमें हार का स्वाद चखना पड़ा, और हजारों रुपए खर्च हुए वो अलग, करोड़ों की जमीन के बदले हमें पाँच लाख रुपये लेकर संतुष्ट होना पड़ा"। ऑटो ड्राइवर की कहानी ने सुनंदा को अंदर तक हिला दिया और उसने तुरंत ही ऑटो ड्राइवर की दुख की झोपड़ी को सुख के महल में बदलने की ठानी। ड्राइवर से मुखातिब हो कहा- "भैय्या आप अपना फोन नंबर और पता मुझे दीजिए, देखती हूं क्या कर सकती हूं"।
दूसरे ही दिन सुनंदा ने जो कि खुद एक अच्छे-अच्छे पद पर कार्यरत थी, अच्छे से सारी छानबीन करने के बाद, बिल्डर के साथ अपनी मीटिंग कर, हर बात अच्छे से समझाई अंततः परिणाम भी सकारात्मक रहा। बिल्डर ने अपने पाँच सौ अपार्टमेंट में से पांच अपार्टमेंट असली हकदार के नाम करने का मन बना लिया। "अंत भला तो सब भला"। सुनंदा
ने इस काम को अंजाम तक पहुंचाकर चैन की सांस ली।
"माना कि उसने बद्दुआओं की जागीर कर डाली।
लेकिन हमने भी दुआओं से तिजोरी भर डाली"।
