जिम्मेदारी
जिम्मेदारी


आज बच्चों को नैतिक रूप से मजबूत बनाने की आवश्यकता है। यह तो ज्यादा पढ़े लिखे समझदार और जिम्मेदार लोगों का मजाक है समाज के साथ कि बच्चों को यौन शिक्षा दी जाए। क्या जरूरत है बच्चों को यौन शिक्षा देने की। बात भविष्य को बनाने की होनी चाहिए न कि वर्तमान को बिगाड़ने की। अपने बच्चों की हर धड़कन को समझने वाले माता-पिता कभी नहीं चाहेंगे कि समय से पहले उनके बच्चे यौन संबंधों की जानकारी हासिल करे। आखिर बच्चों को बच्चा ही रहने दिया जाए तो क्या बुराई। एक बात समझ नहीं आ रही है कि अपराधों पर रोक लगाने और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में नाकामयाबी का ठिकरा बच्चों पर ही क्यों फोड़ दिया जाता है। लगातार बढ़ती आपराधिक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग ही है। यह तो माता पिता और गुरुओं की जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चों पर नजर रखे कि वह क्या कर रहे है। बच्चे जो कर रहे है वह गलत है या सही। कोई माने या न माने पर यह सच है कि ऐसा कोई बच्चा नहीं होगा, जो अपने से बड़ों की बात न मानता हो। अगर लगता है कि बच्चे की कोई हरकत गलत है तो उसको वही पर रोक देना चाहिए। बच्चों को समय से पहले ही बडा बनाने की सिफारिश करने वाले अपने ही बच्चों को यौन शिक्षा क्यों नहीं देते। साथ ही जरूरत है कि टीवी चैनल्स पर उल-जुलूस कार्यक्रमों पर सख्ती से रोक लगाई जाए। सभी जानते है कि चलचित्र बालमन पर गहरी छाप छोड़ते है, तब भी हम उनके हाथ में रिमोट देकर अपनी जिम्मेदारियों से छुटकारा पा लेते है। आज किसी से पास इतना समय नहीं है कि वह अपने बच्चों को सोते समय नैतिक शिक्षा की कहानियां सुना सके। कोई भी बच्चा आज खुद मार्केट में जाकर कम्प्यूटर नहीं खरीद सकता, कोई भी बच्चा खुद बाइक नहीं खरीद सकता। उनके माता-पिता खुद इस बात के लिए बच्चों को बढ़ावा देते है और जब बच्चे अपनी मर्जी से चलने लगते है तो यही माता-पिता सिर पकड कर रोने लगते है। अब इसमें बच्चों की क्या गलती। जैसा उनको सिखाया जाएगा, वैसा ही वह करेंगे। खुद ही सोचिए बच्चों को यौन शिक्षा की जानकारी दी जाने लगी, तब उनके सवालों का जवाब कौन देगा। कम से कम माता-पिता या बड़े भाई बहन तो देने वाले नहीं है। आखिर बच्चों को नैतिक शिक्षा देने में क्या बुराई है।