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Dipesh Kumar

Others

4.3  

Dipesh Kumar

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जब सब थम सा गया (दिन-33)

जब सब थम सा गया (दिन-33)

4 mins
123


लॉक डाउन दिन-33

26.04.2020


प्रिय डायरी,

सुबह का मौसम शांत था। मोबाइल उठा कर देखा तो व्हाट्सएप्प पर खबर मिली की निम्बाहेड़ा जहाँ के स्कूल में मैं काम करता हूँ वह पर कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आया हैं। इसके बाद तुरंत ही वहां के प्रशासन ने पूरे क्षेत्र को सील कर दिया। सुबह सुबह ये खबर देख कर झटका लगा क्योंकि निम्बाहेड़ा भी नीमच की तरह ग्रीन जोन में था। मैं उठ कर तुरंत निम्बाहेड़ा में शिक्षक साथियों से हाल चाल व्हाट्सएप्प के माध्यम से ले रहा था। सबने बताया कि सभी कॉलोनी को सील कर दिया हैं और सभी से घर में रहने की अपील की जा रही हैं। इस तरह नीमच अब चारों तरफ से घिर चुका हैं।इसीलिए कलेक्टर महोदय ने रात ही रात में नीमच जिले को भी संपूर्ण लॉक डाउन के पालन का आदेश दे दिया। आज योग और प्राणायाम का मन भी नहीं था। इसलिए स्नान करके में नीचे आकर पूजा पाठ करके नास्ता करने लगा। टीवी देखने के बाद में तुरंत अपने कमरे में आकर मेल देखने लगा। सीबीएसई द्वारा आज मेरा 4 ऑनलाइन सेशन था। जो की श्रीमती गिरजा सिंह मैडम द्वारा करियर गाइडेंस के विषय पर था। जो की बहुत ही महत्वपूर्ण विषय हैं।ऑनलाइन सेशन 11 से 12 बजे तक होना था। मैं 10.45 पर कॉपी और पेन लेकर मोबाइल फ़ोन पर लॉगिन करके ऑनलाइन सेशन के लिए तैयार हो गया। ऑनलाइन सेशन 12:30 तक चला। गिरजा सिंह मैडम के तीनों सेशन जोरदार थे। इस लॉक डाउन मे सीबीएसई द्वारा इन ऑनलाइन सेशन की मदद से शिक्षक साथी विद्यालय में आने वाली परेशानी का सामना आराम से कर सकेंगे।

ऑनलाइन सेशन के बाद दोपहर के भोजन का समय हो गया था। वैसे तापमान गर्म होने के कारण भोजन की इच्छा भी अब कम होती हैं। भोजन के बाद मैं अपने कमरे में आकर की रिपोर्ट तैयार करने लगा। आज से दो दिन का सम्पूर्ण लॉक डाउन कलेक्टर महोदय द्वारा घोषित किया गया हैं। रिपोर्ट तैयार करने के बाद मैं कुछ देर के लिए लेट गया। वैसे इस लॉक डाउन में मैं आलसी जरूर हो गया हूँ। लेकिन घर पे रहकर खाना पीना और सोना यही कोरोना संक्रमण से बचने का एकमात्र साधन हैं। वैसे थो आज रविवार हैं लेकिन अब सारे दिन एक ही तरह के लगने लगे । न जाने कब हम सब फिर से उसी तरह का जीवन जीने लगेंगे।यही सब सोचते सोचते मैं सो गया, जब उठा तो मौसम का रुख कुछ और ही था। तेज आँधियों के बीच बारिश के कारण मौसम तो ठंडा हो गया था लेकिन तेज आँधियों के चलते घर के पास ही एक खजूर का पेड़ गिर गया जिसके कारण सामने का बिजली का खम्बा भी गिर गया। सावन ने तुरंत ही विद्युत विभाग पर इसकी सूचना दी लेकिन आज ये संभव होना मुश्किल था। लगभग छह बजे आंधी और बारिश रुकी। इसके विद्युत विभाग से कुछ लोग आकर जो तार टूटा था उसका कनेक्शन काट कर सुबह सही करने के लिए छोड़ गए क्यूंकि अंधेरे में ये कर पाना संभव नहीं था।

बारिश आंधी खत्म होने के बाद मैं अपने पेड़ पौधों को सही करने लगा। शाम की आरती का समय हो गया था लेकिन आरती के दौरान ही बारिश फिर चालू हो गयी। लगता हैं आज ऐसा ही मौसम रहेगा। वैसे अप्रैल के महीने में ऐसी बारिश कुछ समझ नहीं आ रहा था। मौसम को देखते हुए सभी ने जल्दी खाना खा कर अपने कमरे में चले गए।मैं भी अपने कमरे में आकर कुर्सी पर बैठ गया और खिड़की से बहार का मौसम देखने लगा। वैसे तो मैं बारिश देखकर बहुत खुश होता हूँ लेकिन आज ऐसा बिलकुल भी नहीं था। हो सकता हैं इतने दिनों से घर में बैठे रहने के कारण ऐसा हो। मन बिलकुल भी पढ़ने का नहीं था। इसलिए मैं कंप्यूटर पर एक सिनेमा देखने लगा। बारह बजे तक सिनेमा देखने के बाद मैंने फिर से मौसम देखा तो अभी भी बारिश हो रही थी। मैं बारिश देखते देखते बिस्तर पर लेटा और कब नींद लग गयी पता ही नहीं चला।

इस तरह लॉक डाउन का आज का दिन भी समाप्त हो गया।लेकिन कहानी अभी अगले भाग में जारी रहेगी.....


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