STORYMIRROR

Vibha Rani Shrivastava

Others

3  

Vibha Rani Shrivastava

Others

"जागृत समाज"

"जागृत समाज"

1 min
251


पुस्तक मेला में लघुकथा-काव्य पाठ समाप्त होते ही वे बुदबुदाये-"ईश्वर तूने आज सबकी प्रतिष्ठा रख ली।"बगल में बैठे मुख्य अतिथि उनके मित्र के कानों में जैसे ये शब्द पड़े उन्होंने पूछा,-"क्यों क्या हुआ?"

"अरे! तुम नहीं जानते... मैं आयोजन में अध्यक्षता तो जरूर कर रहा था परंतु मन में एक अजीब सा डर भी समाया हुआ था.. बकरे की अम्मा सी.. कहीं यहाँ कोई घमासान हुआ तो...!"

"क्यों?"

"ओह्ह! आज सुबह तुमने सुना नहीं क्या अयोध्या राम मंदिर के विषय में, उच्च न्यायालय का क्या निर्णय आया है..?"

"हाँ! सुना तो है... पर ऐसा आपने क्यों सोचा...?"

"तुम समझ तो सब रहे हो फिर भी पूछ रहे हो...!"

"भाई जान! आज समय काफी बदल गया है... ख़ुदा का शुक्र है। सभी समुदाय के लोग पूर्व की अपेक्षा साक्षर ही नहीं अब सुशिक्षित भी हो रहे हैं... वे जानते हैं... सम्प्रदायों की क्षति किसमें है और लाभ किसे है। फूट डालो राज करो अब सफल नहीं होने वाला।"संध्या हो चुकी थी... एकाएक पूरा मैदान बत्तियों से जगमगा उठा।


Rate this content
Log in