साहित्यसेवी सत्येन्द्र सिंह

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3.9  

साहित्यसेवी सत्येन्द्र सिंह

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इन्वेस्टमेंट

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वो अलगू से किसी बात पर बहुत नाराज़ थे।

अलगू कोई और नहीं, एक छोटा सा किसान था उनके ही गाँव का।

पर अपना गुस्सा वह न चाहते हुए भी निगल रहे थे...जैसे तैसे प्यार की बोली बोल रहे थे।

यह आने वाले चुनाव के लिए उनका छोटा सा इन्वेस्टमेंट था।


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