Shakuntla Agarwal

Others

4  

Shakuntla Agarwal

Others

"ईश्वर है यहीं - कहीं"

"ईश्वर है यहीं - कहीं"

2 mins
431


मैं किसी के घर जाप में बैठी हुई थी पर मेरा मन बेचैनी महसूस कर रहा था। मुझे एक घंटे का जाप देना था परन्तु 15 - 20 मिनट बाद ही मुझे लगने लगा की मुझे कोई पुकार रहा है। मैंने गुरु जी की फोटो को हाथ जोड़े, नतमस्तक हुई और वहाँ से चल दी। घर के गेट में दाखिल हुई तो क्या देखती हूँ मेरी मम्मी जमीन पर पड़ी तड़प रहीं हैं, मुँह में झाग निकल रहें हैं, हाथ - पैर टेढ़े हो गये हैं और बुदबुदाए जा रही है गुड्डी अपने बाऊजी को बुला, डॉक्टर को बुलायेंगे। मैंने पड़ोस में से ताई को बुलाया और उन्हें मम्मी को सौंप कर, मैं दुकान की तरफ भागी। 

मैं और मेरे बाऊजी डॉक्टर को लेकर पहुँचे तो डॉक्टर साहिब ने जैसे ही देखा, कहने लगे - "इन्हें ज़बरदस्त करंट लगा है, शुक्र करो जल्दी संभाल लिया, अगर 10-15 मिनट की भी देर हो जाती तो शायद ही ये बच पाती। इनको ठीक होने में 2 -3 महीने लगेंगे।" हुआ यूँ की मेरी मम्मी ने वाशिंग मशीन चला रखी थी। ये वो ज़माना था जब गोल वाली वाशिंग मशीन चलती थी। कपड़े धोने में वो पूरी गीली हो चुकी थी। उन्होंने चलती वाशिंग मशीन में एक गीला तौलिया डालना चाहा। जैसे ही तौलिया मशीन में डाला वैसे ही ज़बरदस्त करंट से मम्मी 2-4 फ़ीट ऊपर उछली और दूर गिरी। ये तो शुक्र है, उनका सिर ज़मीन से नहीं टकराया, वरना राम जाने क्या होता। मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। उन्होंने ही मुझे लगन लगाई की तेरी जरूरत यहां से ज़्यादा घर पर है। जब हम ईश्वर से लौ लगाते हैं तो सब सुलभ होता जाता है। इसलिए मैं कहती हूँ - "ईश्वर है यहीं - कहीं", बस मन को भटकन से बचाने की जरूरत है। 

      


Rate this content
Log in