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Chandresh Kumar Chhatlani

Others

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Chandresh Kumar Chhatlani

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ईर्ष्या

ईर्ष्या

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सूर्य से एक साथ निकल कर एक ही तीव्रता की, गर्मी की धूप और सर्दी की धूप धरती के भिन्न-भिन्न स्थानों की ओर चली। बिछड़ते हुए गर्मी की धूप, सर्दी की धूप को खुश देखकर ईर्ष्यावश हँसते हुए बोली "तुझे पता है धरती पर तेरा जीवन पांच घंटों का ही होगा और मेरा लगभग तुमसे दोगुना।"

ठंड की धूप ने प्रत्युत्तर दिया, "सत्य है, तथापि यह अल्प जीवन मेरे लिये सार्थक है। मैं धरती के प्राणियों को राहत पहुँचाने जा रही हूँ, वो मुझे अपने सिर पर बिठाएंगे और तुम्हें महसूस कर मुंह छिपा लेंगे, उन्हें संभवतः जीवन भी संकटमय लगे।"


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