ईमानदार
ईमानदार
"अंकल टायर का वाल्व ख़राब है। बदलना पड़ेगा। नहीं तो हवा ठीक से नहीं भरेगी और पंक्चर हो जाएगा !"
गाड़ी के टायर में हवा भर रहे उस दुबले पतले कमजोर से लड़के ने माथे का पसीना पोछते हुए कहा।
"छोड़ो यार। तुम लोगों की ये चालें अच्छे से जानता हूँ। कोई जरूरत नहीं वाल्व बदलने की। "
अपना काला चश्मा उतारते हुए मोटी तोंद वाले सेठ ने उसे झाड़ा।
लड़के ने मुंह बिचकाया फिर चुपचाप हवा भरने लगा। तभी सेठ का फोन बजा।
सेठ अपने किसी मातहत को समझा रहा था :
"अरे। कस्टमर को थोड़ा डरा। बोल की घर की सारी बिजली की तारें ख़राब हो गयी हैं। सड़ी -गली वायरिंग रखेंगे तो कभी भी आग लग सकती है। अरे , मुझे मालूम है अभी बस रिपेयर से काम चल जाएगा। पर भाई मेरे, रिपेयर के मिलेंगे बस हजार और पूरे घर की वायरिंग बदलने के लाखों मिलेंगे।
सीधे -साधे लोग हैं थोड़ा समझदारी से काम ले। "
"हवा भर गयी है " वो कमजोर लड़का सेठ को विचित्र ढंग से देखते हुए बोला।
"क्या देख रहा है बे। तेरी चालबाजी न चली तो मुझे घूरेगा !" सेठ ने गाड़ी आगे बढ़ाते हुए लड़के को दुत्कारा।
गाड़ी चलाते हुए अब सेठ प्रसन्नता से गुनगुना रहा था।
शायद आज पूरा दिन वो उस लड़के की चाल से बच निकलने की खुशी मनाता रहता।
पर ठीक दस किलोमीटर बाद -टायर पंक्चर हो गया।