हक़ीक़त
हक़ीक़त
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आज सरिता सोचने पर मजबूर हो गयी हम किस दुनिया में जी रहे हैं एक ऐसी दुनिया जो काल्पनिक है सोशल मीडिया की है वो हमें असली दुनिया से ज्यादा अच्छी लगने लगी है। सविता जब पढ़ाने जाती तो बच्चों को देखती मोबाइल की लत लग चुके बच्चे पढ़ाई कैरियर सब में पिछड़े हैं। हालांकि बच्चों पर बढ़ते प्रेशर का भी अनुमान था उसे शायद यही थी हक़ीक़त।