हक़ीक़त

हक़ीक़त

2 mins
191


आज सरिता सोचने पर मजबूर हो गयी हम किस दुनिया में जी रहे हैं एक ऐसी दुनिया जो काल्पनिक है सोशल मीडिया की है वो हमें असली दुनिया से ज्यादा अच्छी लगने लगी है। सविता जब पढ़ाने जाती तो बच्चों को देखती मोबाइल की लत लग चुके बच्चे पढ़ाई कैरियर सब में पिछड़े हैं। हालांकि बच्चों पर बढ़ते प्रेशर का भी अनुमान था उसे शायद यही थी हक़ीक़त।


Rate this content
Log in