Kameshwari Karri

Others

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हम सफर

हम सफर

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सम्राट अपनी पत्नी पर चिल्ला रहा था कि क्या हो गया है तुम्हें ? दिन भर घर में बैठी रहती हो। कुछ काम भी नहीं करना पड़ता है। इस घर में सब कुछ तो है कमी क्या तुम्हें ? बड़ा घर, बहुत सारा पैसा, नौकर चाकर और क्या चाहिए रानी के समान रहती हो घर में फिर भी तकलीफ़ है। चेहरे पर मुस्कान ही नज़र नहीं आती है। मैं तो तंग आ गया हूँ तुम्हारे इस चेहरे को देख देख कर घर में कदम रखने की इच्छा भी नहीं होती है। हटो मेरे रास्ते से मुझे बाहर जाना है मेरे दोस्तों के साथ पार्टी है आज रोनी सूरत से छुटकारा तो पा सकूँगा थोड़ी देर के लिए। उसने बड़बड़ाते हुए ड्राइवर को पुकारा और चला गया। अनुपमा को सम्राट की सारी बातें सुनकर बहुत दुख हुआ। 

उसने सोचा कि सम्राट ने कभी भी उसे नहीं समझा। जब देखो तब पैसों और बड़े घर की दुहाई देते रहते हैं। उसने कभी यह नहीं सोचा कि उसके लिए तो यह घर एक सोने का पिंजरा ही है और कुछ भी नहीं है। सम्राट और अनुपमा दोनों कॉलेज में साथ पढ़ते थे। अनुपमा सम्राट से बहुत प्यार करती थी। सम्राट बहुत पैसे वाला है। यह अनुपमा को नहीं मालूम था। उसने कभी भी अनुपमा को एहसास ही नहीं होने दिया था। वह दूसरे छात्रों के समान ही हॉस्टल में रहता था। सम्राट ने पढ़ाई ख़त्म हो जाने के बाद अनुपमा के माता-पिता के पास गया जो बहुत ही गरीब थे। उसने उनसे अनुपमा का हाथ माँगा। सम्राट के पूछते ही उन्होंने हाँ कह दिया क्योंकि उन्हें इतना अच्छा दामाद चिराग़ लेकर ढूँढने पर भी नहीं मिल सकता था। सम्राट ने रजिस्ट्रार के ऑफिस में रजिस्टर्ड मैरेज कर लिया। यह कहकर कि पैसे क्यों बर्बाद करें। अनुपमा के माता-पिता तो अपने दामाद की तारीफ़ करते हुए नहीं थकते थे। 

शादी के बाद सम्राट अनुपमा को अपने घर ले गया। जब घर के बाहर इनकी कार रुकी और गेट खुला तो अनुपमा आश्चर्य चकित हो गई थी क्योंकि वह घर नहीं बड़ा सा महल था उसने सोचा शायद पीछे सर्वेंट क्वार्टर में रहेंगे परंतु नहीं सम्राट ने उसका हाथ पकड़ा और उसे महल के अंदर ले गया। 

सम्राट ने कहा--- अनुपमा यह हमारा घर है। मेरे माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। हमारा बहुत बड़ा कारोबार है। हमारे पिता के मित्र जो अकाउंट भी देखते हैं उन्होंने ही इसे अब तक सँभाला था। मेरी पढ़ाई हो गई है इसलिए अब मुझे अपने कारोबार को सँभालना है। 

अनुपमा ने कहा कि आपने तो कॉलेज में कभी भी किसी को भी नहीं बताया। यहाँ तक कि मुझे भी नहीं बताया कि आप इतने पैसे वाले हैं। 

ऐसा कुछ नहीं है अनु मैं नहीं चाहता था कि सब मेरे पैसों के कारण मेरे आगे पीछे घूमते रहें। मैं सबके साथ मिलकर रहना चाहता था। 

अनुपमा को उसकी यह सोच बहुत अच्छी लगी। बात आई गई हो गई थी। एक दिन अनुपमा ने कहा कि सम्राट मुझे एक कॉलेज में नौकरी मिल गई है और मैं जाना चाहती हूँ क्योंकि घर में काम नहीं रहता है और मैं बोर हो जाती हूँ। 

सम्राट ने मना कर दिया। उसे पसंद नहीं कि उसकी पत्नी नौकरी करें। अनुपमा ने नोटिस किया था कि वह कॉलेज में लड़कियों की स्वतंत्रता आदि के बारे में बात करता था परंतु वह खुले विचारों का नहीं था।

 इसलिए उसने अनुपमा को चुना क्योंकि वह गरीब घर की लड़की है तो शानो शौक़त पर फिदा हो जाएगी और उसकी बात मानेगी। सम्राट ने धीरे-धीरे अनुपमा के माता-पिता से उसे दूर कर दिया और अपनी हर बात मनवाने लगा। अनुपमा का इस महलनुमा घर में दम घुटने लगा था परंतु वह बाहर निकलकर तमाशा नहीं करना चाहती थी। इसलिए उसने सम्राट को सुधारने का बीड़ा उठाया और बड़ी मुश्किल से उसे अपने रास्ते पर लाने के प्लान बनाने लगी। उसे हमेशा इस बात की शिकायत भी रहती थी कि सम्राट उसे प्यार नहीं करता है। 

एक दिन सम्राट ने अनुपमा को बताया था कि वह काम के सिलसिले में दूसरे स्थान पर जा रहा है दो दिन बाद आएगा। अनुपमा ने सोचा था कि वह दो दिन तक नहीं आएगा एक बार अपने माता-पिता को मिल आती हूँ। वह अपने माता-पिता से एक साल बाद मिल रही थी। माँ को उसने अपनी सारी बातें बताई यह भी बताया था कि वह सम्राट को सुधार लेगी। दूसरे ही दिन वह वापस अपने घर चुपचाप आ जाती है। वह रात को सो रही थी और नींद में ही उसे बहुत सारी आवाज़ें सुनाई दे रही थी आँखें खोलना चाहती थी पर उसकी आँखें नहीं खुल रही थी। उसी समय सम्राट उसे ज़ोर ज़ोर से झकझोर कर पुकार रहा था जब अनुपमा नहीं उठी तो उसे अस्पताल लेकर गए वहाँ उसका इलाज हुआ। अनुपमा ने अपनी आँखें खोली तो देखा माता-पिता सम्राट सब खड़े होकर उसे देख रहे थे। सम्राट ने कहा कि तुमने तो हमें डरा ही दिया था अनु। 

अनुपमा ने कहा कि सम्राट मैं आपसे माफ़ी माँगना चाहती हूँ कि आप जब बाहर गए तो मैं माँ से मिलने चली गई थी। वहाँ से आई तब तक तो ठीक थी परंतु रात को सोने के बाद क्या हुआ मुझे पता ही नहीं चला था। 

माँ ने कहा बेटा तुम चार दिन से बेहोश थी बेहोशी की हालत में तुम बहुत कुछ बड़बड़ा रही थी। डॉक्टर ने बताया था कि तुम मेंटेली अपसट हो इसीलिए तुम्हारे मन की सारी बातें ज़ुबान पर आ गई हैं। सम्राट भी इतने दिनों से न खाया और न सोया है। आज तुम्हें होश आया है तो उसके चेहरे पर हमने मुस्कान देखी है। वह तुम्हें बहुत प्यार करता है बेटा कह रही थी माँ और अनुपमा को तो जैसे माँ की बातों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। उसने देखा सम्राट दरवाज़े के पास खड़े होकर उसे देख रहा था। अनुपमा ने इशारे से उसे बुलाया वह आकर अनुपमा का हाथ पकड़कर रोने लगा कि मुझे माफ कर दो अनु मुझे नहीं मालूम था कि तुम्हें मैं इतना सता रहा हूँ। मैं आज तुमसे वादा करता हूँ कि तुम जैसे रहना चाहती हो वैसा ही रहो मैं तुम्हें रोकूँगा नहीं टोकूँगा नहीं। अनुपमा को लगा कि इतना प्यार था मेरे लिए आपके दिल में तो आपने कभी जताना जरूरी नहीं समझा क्या? अनुपमा तो सम्राट को बदलने के लिए प्लॉन बनाना चाहती थी परंतु ईश्वर ने उसकी सुन ली और उसे सम्राट का प्यार बिना किसी प्रयास के मिल गया था। 

इसलिए कहते हैं कि हम सफर वही होते हैं जो एक दूसरे से बेहद प्यार करते हैं। परंतु सिर्फ़ प्यार करना ही नहीं उसे जताना भी आना चाहिए। 



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