हौसले की उड़ान
हौसले की उड़ान


आज मनु बहुत खुश लग रही थी क्योंकि आज उसके मामा जी मनु को लेने के लिए आ रहे हैं। मन्नू के कक्षा 9 के पेपर समाप्त हो गए हैं और वह बहुत ही उत्साहित है क्योंकि उसके सभी पेपर अच्छे हुए और वह मम्मी से बता रही थी कि मम्मी मैं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करूंगी।
मनु रमेश की इकलौती पुत्री थी रमेश के 1 पुत्र तन्मय में जो की मनु से 4 वर्ष छोटा और कक्षा 7 में पढ़ रहा था। दोनों ही बच्चे पढ़ने में बहुत ही होशियार थे। रमेश भी अपने बच्चों की कामयाबी पर बहुत खुश होता था।
मनु भी आज सुबह से व्यस्त थी वह अपना सामान बैग में पैक कर रही थी। तभी घंटी बजती है और मनु दौड़कर गेट खोलती है तो गेट पर मामाजी को देखकर फूली नहीं समाती है।
मनु- मामा जी नमस्ते!
मामा- नमस्ते बेटी !मनु कैसे और आपके पेपर कैसे हुए।
मनु- मामा मैं ठीक हूं और मेरे पेपर भी अच्छे गए हैं इस बार में कक्षा में प्रथम आऊंगी।
मामा- शबास बेटी।
( इतना कहकर मनु अंदर से मामा के लिए पानी लेने चली गई।)
चाय नाश्ता हो जाने के बाद मनु भी मामा के साथ मामा के घर के लिए चल पड़ी। मनु इतनी खुश थी कि वह जल्दी से जाकर गाड़ी में बैठ गई परंतु मनु को यह कहां पता था कि समय किस ओर ले जा रहा है। कहीं पल भर की खुशी गमों में तब्दील ना हो जाए।
मनु एक होनहार बच्ची थी वह बचपन से डॉक्टर बनने का स्वपन देखती थी वह अपने पिता को कहती थी कि आपका नाम रोशन करूंगी।
मनु और उसका मामा दोनों घर से चल पड़े मनु को बहुत खुशी हो रही थी कि थोड़ी देर में मामा के घर पहुंच जाएगी गाड़ी कुछ ही दूर चली थी कि एक ट्रक ने ओवरटेक कर गाड़ी को टक्कर मार दी हादसे इतना भयंकर था कि गाड़ी चूर चूर हो गई।
मनु और उसके मामा जी मौके पर ही बेहोश हो गए लोगों ने उनको सिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया और मनु के परिवार को इसकी सूचना दे दी गई जब इस घटना को सविता ने सुना तो वह अपनी शुद्ध खो बैठी किंतु वह और उसका पति हॉस्पिटल पहुंच गए। उन्होंने डॉक्टर से बात करने पर पता चला कि मनु अपना दायां हाथ खो बैठी है।
मनु का हाथ का ऑपरेशन करके अलग करना है। इसका सदमा रमेश को लगा और सोचने लगा कि अब मनु अपना सपना कैसे पूरा कर पाएगी।
क्योंकि मनु जिस हाथ से लेखन और अन्य कार्य करती थी वह उसने इस हादसे में खो दिया है। परंतु रमेश ने इस समय हौसले से काम लिया।
इधर डॉक्टर मनु के ऑपरेशन के लिए तैयारियां शुरू करने लगे और उधर मनु के माता-पिता भगवान से ठीक होने की प्रार्थना कर रहे थे।
मनु के मामा रवि के सिर में ज्यादा चोट आई थी और पैर में फैक्चर था यह रमेश और सविता के लिए मुसीबत की खड़ी थी उधर रवि को होश आ गया था और विनय मनु के बारे में पूछा तो सविता रोने लग गई।
रमेश सविता को हिम्मत बढ़ाता है और बाहर ले जाकर समझाता।
रवि- बताओ ना मनु कैसी है?
रमेश- हिम्मत बांधते हुए; मनु का दाया हाथ का ऑपरेशन होगा।
रवि- ओहो !यह तो बहुत बुरा हुआ।
सविता- कोई नहीं भैया भगवान सब ठीक करेगा।
( इतने में डॉक्टर अंदर से आया और बताया कि अब मनु ठीक है परंतु उसने अपना हाथ खो दिया अब आप मनुष्य मिल सकते हो सविता और रमेश दोनों मनु से मिलने गए।)
सविता- मनु बेटी अब कैसी हो।
मनु का यह शब्द जब कान में पड़े तो वह रोने लग गई।
मनु- मम्मी मामा कैसे हैं?
सविता- बेटा आपके मामा जी ठीक हैं।
मनु- मम्मी हम घर कब चलेंगे ?
रमेश- बेटा हम जल्दी ही घर चलेंगे श्याम को छुट्टी मिल जाएगी।
( डॉक्टर ने मनु की जांच कर उसे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी। रमेश और सविता मनु को घर ले आए थे।
रवि अब ठीक था रवि को पहले ही छुट्टी मिल चुकी थी।)
आज मनु बहुत खुश थी क्योंकि आज उसका परिणाम आने वाला था परंतु वह सोच रही थी कि अब वह आगे नहीं पढ़ पाएगी क्योंकि उसने अपना हाथ को दिया था। फिर भी वह मन से नही हारी थी। वह पढ़ना चाहती थी डॉक्टर बनने का सपना पूरा करना चाहती थी।
मनु का परिणाम आ गया उसने कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था जब अध्यापक को मनु के बारे में पता चला तो वह मनु के घर पर मनु से मिलने आ गए।
मनु अध्यापकों को देख कर रोने लगी और कहने लगी कि क्या सर मैं पढ़ पाऊंगी और अपने सपने को पूरा कर पाऊंगी।
तभी एक अध्यापक ने एक कहानी सुनाई जिसमें एक इसी तरह की लड़की अपने सपनों को कैसा पूरा करती है। इस कहानी को सुनकर मनु के अंदर 1 हौसले की ज्वाला जाग गई और उसने निश्चय किया कि वह पढेगी सभी अध्यापकों ने और माता पिता ने उसके हिम्मत बंधाई।
छुट्टियां खत्म होने के बाद मन्नू एक नई विश्वास के साथ विद्यालय जाने लगी और कुछ दिनों बाद वह इस घटना को भूल गई थी। क्योंकि उसने अपनी लगन और मेहनत से बाएं हाथ से इतना सुंदर लिखने लगी थी कि जो भी देखता वह दांतो तले उंगली दबा लेता था और मनु की कामयाबी और हौसले की सराहना करते थे।
समय बीतता गया और मनु भी अपने सपने को पूरा करने में लगी रही उसने दसवी और बारहवीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया और वह डॉक्टर की तैयारी में जुट गई और वह अब सब कुछ को भूल चुकी थी केवल उसको अपने हौसले के साथ सपना पूरा करना था जो कभी पढ़ने की भी नहीं सोच रही थी वह आज अपने मुकाम की अंतिम सीढ़ी पर थी।
कुछ दिनों बाद पता चला कि मन्नू का एमबीबीएस में सिलेक्शन हो गया है तो चारों और खुशी की लहर दौड़ गई और सभी मनु के हौसले और मेहनत को सराहना कर रहे थे।
मनु के माता-पिता फूले नहीं समा रहे थे क्योंकि मनु ने आज अपने हौसले से मुकाम को पा लिया था। ममनु को पढ़ाई के लिए शहर जाना था इस बात से घरवाले चिंतित थे परंतु मनु का हौसला बढ़ता जा रहा था वह शहर में जाकर नियमित पढ़ाई करने लगी और मनु ने अच्छे अंको से एमबीबीएस किया और क्षेत्र की अच्छे डॉक्टर बनी।
( मनु की आंखों में जो चमक थी वह उसके हौसले धैर्य दृढ़ इच्छा और मेहनत से मिली थी वह इतनी बड़ी दुर्घटना से भी हार नहीं मानी और वह अपने हौसले के बल पर हार कर भी जीत गई)
जीवन में हर चीज संभव है बस हौसले मजबूत होने चाहिए।
हम भी उड़ सकते हैं परिंदों की तरह।
हौसला मजबूत होना चाहिए।