हैप्पी रोज़ डे

हैप्पी रोज़ डे

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प्यारे बेटे मिट्ठू

सदैव खुश रहो

कुछ बातें हैं जो समझने के लिए तुम अभी बहुत छोटे हो, फिर भी इस चिट्ठी के जरिये मैं उन्हें तुमसे बाँटना चाहती हूँ ताकि इसे तब तक सहेजकर रख सकूँ जब तक तुम इसे पढ़कर समझने लायक नहीं हो जाते।

मेरे प्यारे बच्चे, जब तुम मेरे जीवन में आये तब मैंने प्रेम के एक नए स्वरूप को जाना। तुम्हारे साथ इस अहसास को जीने से ज्यादा सुखद मेरे लिए कुछ भी नहीं। तुम मेरे लिए ईश्वर का दिया हुआ सबसे सुंदर उपहार हो।

जहाँ हमारे देश भारत में फरवरी के महीने में बसंत ऋतु का आगमन होता है जो कि प्रेम का प्रतीक माना जाता है। वहीं दूसरी तरफ पश्चिमी देशों में इसी महीने में प्रेम का उत्सव मनाया जाता है जो 'रोज़ डे' से शुरू होकर 'वैलेंटाइन्स डे' पर खत्म होता है।

आज 7 फरवरी है यानी कि 'रोज़ डे', गुलाबों का दिन। आज से ही प्रेम-उत्सव की शुरुआत हो रही है। हालांकि ये हमारी भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि अगर दूसरी संस्कृतियों में भी कोई अच्छी बात है, तो उसे अपनाने में किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है।

भले ही ये प्रेम-उत्सव पाश्चात्य सभ्यता से संबंधित है पर प्रेम तो सदा ही हम भारतीयों की संस्कृति का अटूट हिस्सा रहा है।

कभी यशोदानंदन कृष्ण और यशोदा मैया के ममतामयी रिश्ते के रूप में, तो कभी केवट, शबरी और भगवान हनुमानजी के साथ प्रभु श्रीराम के भक्त और भगवान के अनुपम रिश्ते के रूप में। कहीं माता सीता के साथ श्रीराम के प्रेम की गाथाओं को सुनोगे तुम तो कहीं श्रीराधाजी के साथ श्रीकृष्ण को पाओगे।

कहीं मित्रता रूपी प्रेम को दर्शाते सुदामा और कृष्ण को देखोगे तो कहीं भाई के लिए अपनी हर खुशी न्योछावर करते श्री लक्ष्मण और श्री भरत को पाओगे। तो कहीं मातृभूमि से प्रेम निभाते वीर सैनिकों से रूबरू होगे तुम।

इसलिए तुम्हारे साथ इस प्रेम-उत्सव को मनाना मुझे गलत नहीं लगता।

मेरे प्यारे बच्चे, इस उत्सव की शुरुआत करते हुए आज रोज़ डे पर मैं तुम्हें सिर्फ एक गुलाब का फूल नहीं, बल्कि गुलाब का एक पौधा उपहार में दे रही हूँ।

पेड़ से तोड़ा हुआ एक फूल तो कुछ ही दिनों में सूखकर नष्ट हो जाएगा, लेकिन ये पौधा सालों-साल नित-नए फूल खिलाकर उनकी सुगंध से तुम्हारा जीवन महकाता रहेगा।

जैसे-जैसे तुम जीवन की राहों में आगे बढ़ोगे, वैसे-वैसे जीवन में आने वाले उतार-चढ़ावों से तुम्हारा सामना होगा। सुख और दुख के नए अध्याय तुम्हारे सामने खुलेंगे।

ऐसे में इस पेड़ पर खिले हुए गुलाब के फूल तुम्हें हमेशा ये बतायेंगे की हमें कभी अपने जीवन में आने वाले रुकावट रूपी काँटों से डरना नहीं चाहिए, बल्कि इन फूलों की तरह उसका सामना करते हुए अपने सद्गुण-रूपी सुगंध से आसपास के वातावरण को महकाते रहना चाहिए।

ये फूल तुम्हें हमेशा ये बताएंगे कि जिस तरह काँटों के बिना गुलाब की महत्ता नहीं, उसके खिलने का आनंद नहीं, उसी तरह बिना मुश्किलों के जीवन में आगे बढ़ने का, जीतने का और अपने सपनों को सच करने का भी आनंद नहीं।

गुलाब का ये पेड़ तुम्हें ये भी सिखाएगा की अनुपयोगी दिखने वाले, चुभने वाले ये काँटे भी दरअसल कभी-कभी जीवन में बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं।

जिस तरह काँटे चुभने का डर कई बार इन प्यारे से फूलों को तोड़े जाने से बचा लेता है, उसी तरह हमें भी कभी-कभी परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को या अपने प्रियजनों को दुखों से, या दुख देने वाले लोगों से बचाने के लिए इन काँटों की तरह कठोर बनना पड़ता है जिसमें कुछ भी गलत नहीं है।

इन गुलाबों की तरह ही सदैव खुशियों से, प्रेम से तुम्हारा जीवन और तुम्हारे जरिये तुमसे जुड़े सभी लोगों का जीवन महकता रहे।

इसी शुभकामना के साथ

तुम्हारी माँ


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