हादसा
हादसा
2010 की बात है काजल अपने ऑफिस से से घर की तरफ आ रही थी कार की स्पीड पचास से साठ के बीच में थी।जैसे ही काजल अशोक चौक पर पहुंची, अचानक से उसके सामने एक ट्रक आ गया, इससे बचने के लिए उसने साइड से कार काटी , मगर ट्रेलर जो उसके पीछे था वह भी अपना संतुलन खो चुका था । उसने काजल की कार को पीछे से बुरी तरीके से रौंद दिया था । जब काजल की आंख खुली तो वह आकाश हॉस्पिटल में थी। डॉक्टर ने बताया उसका बुरी तरीके से एक्सीडेंट हुआ था ।उसको पूरे दो महीने लगे उस हादसे से बाहर निकलने के लिए ।अब जब भी काजल कार चलाने की कोशिश करती है, वह हादसा उसके दिलो-दिमाग पर हावी हो जाता । कार का स्टेरिंग वह घुमा नहीं पाती। उसने बहुत कोशिश की कि वह डर अपने मन से निकाल पाए पाए ,मगर डर जो उस पर हावी ही होता चला गया। आज उस बात को को पूरे दस साल हो चुके हैं, इन दस सालों में काजल को याद भी नहीं कि कभी वह कार चलाया करती थी। कभी-कभी कोई हादसा हम पर इतना हावी रहता है कि हम उससे लाख बाहर निकलने की कोशिश करें, निकल ही नहीं पाते और आज की स्थिति भी यही है ।काजल जब भी कार में बैठती, चाहे कार कोई भी चला रहा हो उसको वही उसको वही मंजर याद आ जाता ।कार की थोड़ी सी सी स्पीड तेज हो उसकी दिल की धड़कन भी तेज हो जाती, भगवान से प्रार्थना करने लग जाती ,सब सही रहे । काजल का पति कमल कभी-कभी तो काजल को बुरी तरीके से डांटता ,ना तो तुम कार में आराम से बैठती हो और तुम्हें देखने से मैं भी चला नहीं पाता ।
काजल उसे समझाने की कोशिश भी करती है कि वह अपने डर को बाहर नहीं निकाल पा रही और यह डर अभी भी उसके दिलो-दिमाग पर हावी है ।डर और दिमाग दोनों में जंग छिड़ी हुई है किसकी जीत होगी यह नहीं पता।