गुरू नानक करतारपुर
गुरू नानक करतारपुर
करतारपुर साहिब सिखों का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है,जहां गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए थे और इस स्थान पर गुरु नानक जी ने 16 सालों तक अपना जीवन व्यतीत किया था। लेकिन सिखों का यह महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल पाकिस्तान में भारत की सीमा से सत्ता है और अब यहाँ पर एक कॉरिडोर बनाया गया है जिससे हो कर भारतीय श्रद्धालु करतारपुर साहिब गुरुद्वारा का दर्शन कर सकते है।
अब सवाल हे की पाकिस्तान एक मुस्लिम राष्ट्र है जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है।शिखोंका ये महान तीर्थ भारत में ही रहना था , क्यों की भारतमें ज्यादातर सीखोंकी आबादी है।भारतसे है वर्ष नानक जयंतीके अवसर पर लाखों श्रद्धालु करतारपुर कॉरिडरसे दर्शन के लिए जाते है।
अब इसका उत्तर डुंडते हैं।अंग्रेज़ों के ज़माने में गुरुदासपुर जिले में मुस्लिम बाहुल्य (51.14% सटीमुस्लिम आबादी) जिला था। इसकी 4 तहसीलें (सब-डिवीज़न) थीं और इनमें से शंकरगढ़ में मुस्लिम बहुमत था और तीन अन्य तहसीलों में हिन्दू और सिख समुदाय की बहुलता थी। इस प्रकार तीन हिंदू / सिख बहुसंख्यक तहसील (गुरुदासपुर, पठानकोट और बटाला) भारत को मिले गए और शंकरगढ़ पाकिस्तान चले गए।
करतारपुर शंकरगढ़ तहसील में स्थित होने के कारण यह पाकिस्तान चला गया। भारत और पाकिस्तान के पास अंग्रेज़ो द्वारा बनाये गए विभाजन रेखा रेडक्लिफ सीमा रेखा को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। कई क्षेत्र ऐसे थे जो गैर-मुस्लिम बहुल होने के बावजूद बहुसंख्यक पाकिस्तान गए और कुछ मुस्लिम बहुल इलाके भारत को मिले (हालाँकि इसमें पाकिस्तान को अधिक फायदा हुआ)। भारत के पास आधिकारिक रूप से रेडक्लिफ रेखा को स्वीकार करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। भारत और पाकिस्तान के बीच सर क्रीक के उत्तर से जम्मू (अंतर्राष्ट्रीय सीमा) तक कोई सीमा विवाद नहीं है।
कुछ अंतरराष्ट्रीय नियम होते है और देश का एक दायित्व होता हैं। भारत ने 1965 और 1971 में सीमा पार पाकिस्तानी जमीन पर कब्जा कर लिया था, लेकिन युद्ध के बाद भारत को उस भूमि को पाकिस्तान को वापस करना पड़ा।इसलिए भारत ने कभी करतारपुर साहिब को लेने की कोशिश नहीं किया क्योंकि भारत मानता है कि यह पाकिस्तान का हिस्सा है।
