राजनीति में सत्ता के भूखे :
राजनीति में सत्ता के भूखे :
शरद पवार 81 साल के हैं और उनका स्वास्थ्य उन्हें व्यस्त राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल नहीं होने देता है। उनका दिमाग इतना मजबूत नहीं है कि वह तेज सोच सके और जोड़-तोड़ वाले राजनीतिक खेल खेल सके। उनके मुंह के कैंसर की सर्जरी हुई थी और उन्हें अक्सर अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। पवार को मुंह खोलने और बात करने में काफी दिक्कत होती है। वह केवल पढ़ने और हस्ताक्षर करने में सक्षम हैं।
फिर भी पवार राजनीतिक सत्ता और गद्दी के भूखे हैं। वह झुकने वाला नहीं है। वह राजा बनने का सपना देखते है।
करुणानिधि का 94 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने आखिरी दिन तक अपनी कुर्सी नहीं छोड़ी। वह बोल नहीं सकते थे, अपने परिवार के सदस्यों को पहचान नहीं सकते थे, और चल नहीं सकते थे। वह निर्णय लेने में असमर्थ थे, लेकिन वे तमिलनाडु के तिरुवरूर के विधायक की अपनी कुर्सी पर टिके रहे। जीवन के अंतिम दिन तक अपनी कुर्सी से चिपके रहे।
सत्ता का यह लालच भारतीय राजनीति को घटिया बना देता है। भारत में राजनीतिक पारी कभी खत्म नहीं होती। यह शादी की तरह है, मरते दम तक बनाए रखना है।
