गुदगुदाते पल

गुदगुदाते पल

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परिवार के साथ बिताए गए हर पल अनमोल होते हैं। उनमें से कुछ अविस्मरणीय पलों को चुराना मुश्किल होता है। फिर भी कुछ पल होते हैं जो अपनी अमिट छाप हमारे हृदयतल पर छोड़ जाते हैं।


शादी के पहले साल ही मुझे ईश्वर की असीम कृपा से केदारनाथ और बद्रीनाथ जाने का मौका मिला। मैं, मेरे पति और मेरे सास, ससुर सभी बहुत खुश थे और उत्साहित थे। ठंड होने की वजह से गर्म कपड़े हम सब ने पहन रखे थे। कहते हैं, “मंजिल से ज्यादा, रास्ते में मजा आता है।” वही हमारे साथ हुआ।


खतरनाक मोड़, तीखे रास्ते, ऐसा लगता था मानो एक पल भी ड्राइवर ने ध्यान हटाया तो बस हम गए। एक तरफ गहरी खाई, जिसकी गहराई हम नाप नहीं सकते थे, दूसरी तरफ पहाड़ों की ऊँचाई, जो मानो आकाश को छूने की होड़ में लगे हो। बीच में डरे सहमे हम रोमांचक रास्ते पर चल पड़े थे।


पहली बार बर्फे से ढका पहाड़ों को देखने का अलग ही मजा होता है। ऐसा लगता था किसी ने चादर ओढ़ा दी हो। केदारनाथ पहुँचने के लिए हमने टट्टू किए थे, जो हमें ऊपर तक ले जा रहे थे। जब वह एक कदम भी चले ऐसा लगता मानो कहीं पलट न दे।


दूसरी तरफ मंदाकिनी नदी की कलकल आवाज़ कानों को सुकून दे रही थी। ये एक ऐसा पल था जब डर, रोमांच, खुशी सभी एक साथ मन में आ रहे थे और जा रहे थे।


दूसरे दिन हम बद्रीनाथ की ओर चल पड़े। वहाँ पानी ऐसा मानो बर्फ को पिघलाकर नल से पानी के रूप में डाल दिया गया हो। ऐसी ठंड की हाथ-पैर जम जाए। पर उस ठंड का भी अपना मजा था। जो आज भी सिहरन पैदा कर देता है। वह एक हफ्ते की यादें आज भी हमारे दिल को गुदगुदा जाती हैं।


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