गर्व
गर्व
बात तब की है, जब महाभारत, बी. आर. चोपड़ा वाली आती थी। हमारे घर पर टी. वी. नहीं था।हमारे ताऊ जी के घर गांव के बहुत से लोग टी. वी. देखने आते थे, एक शो जैसा वहां, एक घंटे के लिए लगता था...।
जून १९९० की बात है, उस दिन मेरे स्कूल के प्रधानाध्यापक भी आये हुए थे, जैसे ही हम लोग महाभारत खत्म होते ही वहां से चले, तब उन्होने मेरे पापा को आवाज दी, कि चौधरी साहब दावत दीजीए, आपकी बेटी ने स्कूल टाप किया है। उस वक्त वहां गांव के ओर भी लोग थे। वो दिन उस खबर से अचानक ही विशेष हो गया था, क्योंकि अपने माता पिता को गर्व फील कराना, हमेशा ही खुशी देता है। ऐसे ही कितने पल, मैने अपने माता पिता के साथ गुजारे,ओर बहुत समृद्ध फील किया, उनके जाने के बाद वो स्नेह कभी नही मिला,...।
