Piyush Goel

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गणेश और तुलसी की कथा

गणेश और तुलसी की कथा

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भगवान गणेश को प्रथमपूज्य कहा जाता है , वही तुलसी को भी हिन्दू धर्म मे देवी का दर्जा दिया जाता है । तुलसी हरिप्रिया है पर श्री गणेश को तुलसी का भोग नही दिया जाता । आज इस रचना में मैं आपको इसका कारण बताने जा रहा हूँ ।


एक बार गणेश और कार्तिके में इस बात पर विवाद छिड़ गया कि किसका विवाह पहले होगा ? गोरी - शंकर ने इस विवाद को सुलझाने के लिए अपने दोनों पुत्रो को बुलाया और कहा कि जो भी तीनो लोको की परिक्रमा सर्वप्रथम करेगा , उसका ही विवाह पहले होगा । यह शर्त सुनकर कार्तिके खुश हुए क्योकि वह जानते थे कि उनका वाहन मोर है , इसलिए वह ही प्रथम आएंगे । कार्तिके तीनो लोको की परिक्रमा करने के लिए निकल पड़े । गणेश का वाहन मूषक था इसलिए वह नही जीत सकते थे तब उन्होंने एक मार्ग निकाला ओर उन्होंने अपने माता - पिता की परिक्रमा करी क्योकि माता पिता को तीनों लोकों से भी श्रेष्ठ माना जाता है । कार्तिके जब वापस आए ओर उन्हें गणेश की विजय का संदेश मिला तब वह रुष्ट होकर कैलाश को त्यागकर दक्षिण की ओर चले गए ।  


गणेश इसके लिए स्वयम को जिम्मेदार मानने लगे , इसलिए उन्होंने निश्चय किया कि वह भी कैलाश छोड़कर चले जाएंगे और आजीवन अविवाहित रहेंगे । 


गणेश कैलाश छोड़ कर चले गए ओर एक स्थान पर तप करने लगे , तभी तुलसी की नज़र श्री गणेश पर पड़ी । श्री गणेश का मंगलकारी रूप देखकर तुलसी मोहित हो गयी । ओर वह श्री गणेश के पास गयी और विवाह प्रस्ताव रखा तब श्री गणेश ने तुलसी को मना कर दिया जिससे क्रोधित तुलसी ने गणेश को कहा कि आपका विवाह अवश्य होगा । इससे श्री गणेश अति क्रोधित हुए , उन्होंने तुलसी को श्राप दिया कि तुम्हे असुरपति मिलेगा । इससे तुलसी और रुष्ट हुई और गणेश को दो विवाह करने का श्राप दिया । गणेश अति क्रोधित हुए ओर तुलसी का श्राप दिया कि तुलसी असुरपत्नी बनने के बाद ऋषिपत्नी के श्राप से एक पौधे में बदल जाएगी । यह सुनकर तुलसी अति भयभीत हो गयी और वह विघ्नहर्ता से प्रार्थना करने लगी और कहने लगी हे विघ्नहर्ता ! ऐसा मत करिए , मुझे अपनी सेवा का एक मौका दीजिये तब गणेश बोले कि तुलसी ! तुम पौधा बनने के बाद वनस्पतियों में श्रेष्ठ होगी और हरिप्रिया बनोगी साथ ही में देवता तुम्हारा भोग की स्वीकार करेंगे पर मुझे तुम्हारा भोग मात्र मेरे जन्मदिन ( गणेश चतुर्थी ) को ही चढ़ेगा । 


यही कारण है कि गणेश चतुर्थी के ही दिन तुलसी का भोग श्री गणेश को चढ़ता है । 


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