Pratibha Jain

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घुरहू की मेहरारू मुखियान भाग 3

घुरहू की मेहरारू मुखियान भाग 3

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घुरहू अपने माता - पिता को दिखाने लिऐ शरीफ़ बनता रहा। बाकी चोरी छिपे दोस्तो के संग अपना सब काम करता रहा।घर पर कोई कुछ नही बोले इसलिए खेती और टैक्टर चलाना में पिता जी सहायता करता था।किसी को शक न हो इसलिए अपने पिताजी के साथ रात में खाना खाने को आ जाता।बाकी घुरहू की मां इंतजार में जागती रहती।

धीरे से घुरहू खाना पीना खा कर सो जाता है। माँ प्यार से बोलती" बेटा इतनी रात को दारू पी कर मत आया करो तुम्हारे पिताजी को पता चला तो बहुत गुस्सा होंगे अब तुम्हारी शादी होने वाली है "बेटा सुधर जाओ।"

ठीक है मम्मी अब नहीं पाऊंगा दारु कभी तुम चिंता मत करो,पिताजी से कुछ नहीं बोलना और धुरहू घोड़ा बेंच कर सो जाता।" ये काम तो अब रोज का हो गया।

घुरहू के पिता जी रामखेलवान अपने जीजाजी और गांव के कुछ लोगो के साथ जान पहचान वाले रिश्तेदारों के यहां लड़की देखने जाते हैं।

प्रभु नाथ गांव के बड़े इज़्ज़त दार व्यत्ति थे।उनका घर बहुत बड़ा बना हुआ था। खेती भी उनके पास बहुत ज्यादा थी उनकी बड़ी बेटी सावित्री बीए ग्रेजुएट किया था। सावित्री देखने में बड़ी सुंदर थी। घुरहू के पिताजी को बड़ी सुंदर लगी और सावित्री से बात करने लगे बेटी तू बहुत पढ़ी लिखी है बोलती भी अच्छा हो बहुत बड़े घर से हो घर के काम आते हैं या नहीं? सावित्री नीचे सिर करके बोलती है घर के सारे काम आते हैं खाना भी बना लेती हूं और खेती भी कर लेती हूं।

बाकी हम शादी के बाद सिर्फ़ खाना नहीं बनाऊंगी नौकरी भी करूंगी?

सावित्री के पिताजी बोलते हैं मेरी बेटी लाखों में एक है इसकी कभी कोई शिकायत नहीं आती बस एक ही शर्त है ससुराल में जा कर नौकरी करना है।

तभी रामखेलबान को जीजाजी किनारे पर ले जा कर बोलते आप इनकी शर्त मान लो क्योंकि लड़की बहुत पढ़ी लिखी है घर को सुधार देगी,अपने परिवार का बहुत नाम होगा। इतने अच्छे रिश्तादार सभी को आसानी से नहीं मिलते।आपको शर्त मान लेनी चाहिए आपका बेटा आठवी फेल है और दारु भी पीता है संग

सांगाति भी अच्छी नही है। ऐसे लड़के के साथ कौन करेगा अपनी बेटी की शादी।आप सही कह रहें हो जीजाजी हमारा इतना बड़ा खेत भी नहीं है और घर भी बहु के नौकरी करने से घर और परिवार दोनो संभाल जायेंगे।

अब जमाना बदल गया है लड़की पढ़ लिख कर सिर्फ खाना नहीं बनाती गांव और शहर घर में बंधकर नहीं रहती रामखेलवान को जीजाजी समझाते हैं।

 ठीक है आपकी बात जैसे आप बोलो पर मेरा बेटा आठवी फेल है इस बात को लेकर कभी मेरे बेटे से कोई लडाई न हो रामखेलवान भी अपनी शर्त रख देते हैं।

सभी लोगों में बात होती और शर्त मान ली जाती है।

रात में रामखेलवान अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बताते है हमारे बेटे की जल्दी ही शादी होने वाली।

सावित्री की मां सावित्री के पिताजी से गुस्से में बोलती है आपको थोड़ी तो समझदारी दिखाना चाहिए थी अपनी बेटी इतनी पढ़ी लिखी है आप आठवी फेल लड़के से रिश्ता कैसे कर सकते हो?

गुस्सा न हो सावित्री की मां मैने बहुत सोच समझ कर ये रिश्ता तय किया है उन लोगों के पास खेत मकान और खाने पीने की कोई कमी नहीं है और घुरहू इकलौता बेटा है अपनी सावित्री ससुराल में जा कर नौकरी भी कर सकती इसके लिए कोई रोक टोक नहीं है हमारी बेटी वहा राज करेगी। प्रभुनाथ अपनी पत्नी को समझाते हैं।

ठीक है जो आपको अच्छा लगे बाद में कोई परेशानी आई तो मैको नहीं बोलना नहीं तो सारी गलती मेरे उपर डाल देते हो। सावित्री की मां चिंता करते हुए बोलती है।

कुच बाद शादी घुरहू और सावित्री की धूम धाम से शादी हो जाती है।


शेष भाग 4


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