MITHILESH NAG

Others

2.5  

MITHILESH NAG

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गे

गे

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पूरी रात अजीत सोच में डूबा था क्योंकि उसको समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर मुझे लोग ऐसे क्यों देखते हैं, हँसते भी हैं मेरे ऊपर, मैं भी दूसरे की तरह हूं तो फिर क्यों?

“ऐसे क्यों देख रहे हो।”

”मैं कहां देख रहा हूँ” ( सफाई देते)

अजीत रमेश को इसलिए बोल रहा था क्योंकि उसको लग रहा था कि उसके मन में भी मेरे लिए सिर्फ मजाक ही है और कुछ नहीं । अजीत को लगता था कि सब के सब तो मेरा मज़ाक बना ही रहे हैं अब रमेश भी ऐसा कर रहा है।

कुछ देर बाद रमेश वहाँ से चला गया, और अजीत फिर से बड़े बड़े बाल को संवारने लगा और आँखों पर बड़े बड़े काजल लगा कर शीशे के सामने बैठ कर कुछ बड़बड़ा रहा था।

“कितनी खूबसूरत लग रही हूँ, किसी की नज़र न लगे क्या मैं किसी से कम दिखती हूँ” ( लड़की की तरह व्यवहार )

शीशे के ही सामने वो पूरी औरत की तरह साड़ी पहन कर बैठ जाता है। लेकिन जब उसको लगा कि अब रमेश आने वाला है तो जल्दी जल्दी से सारे कपड़े बदल लेता है। और फिर से एक नार्मल लड़के की तरह बैठ कर पढ़ने लगा । 

कुछ देर बाद रमेश आता है। लेकिन बिना कुछ बोले वो सोने चला जाता है।

एक दिन..…

अक्सर दिनेश से अजीत की खूब बनती थी। दिनेश को भी अजीत पसंद था। और दोनों एक दूसरे की तरफ आकर्षित होते थे इसलिए अक्सर आकर दोनों एक साथ चाय पीने या कोई भी काम रहता था तो आते जाते थे। 

एक दिन अजीत दिनेश का हाथ पकड़ कर उसको एक किनारे ले जाता है। 

“ दिनेश मैं तुम को बहुत प्यार करता हूँ और हमेशा तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ, क्या तुम मेरे साथ रहोगे?”

पहले तो दिनेश को कुछ समझ मे नहीं आया लेकिन कुछ देर बाद उसको किस करने लगा और लव यू बोलता है।

“मैं भी तुम को बहुत प्यार करता हूँ लेकिन डरता था कि समाज क्या बोलेगा हमारे इस रिश्ते को” 

“बोलने दो जिसको जो बोलना है तुम मेरे साथ हो बस और किसी की मुझे जरूरत नहीं है”।

“सच बोल रहे हो तुम अजीत , नहीं तो सब मेरे ऊपर इस बात को लेकर हँसते थे कि ये तो गे है।“

“कोई बात नही जिसको जो बोलना बोलने दो ,कुछ दिन बाद हम शादी कर लेंगे।“

“मुझे भी बहुत खुशी होगी मैं खुद तुम्‍हें चाहता हूँ”

कुछ देर बाद दोनो मार्केट में साथ साथ चलते है। लेकिन दोनों बहुत खुश थे कि उनको भी कोई लाइफ पाटनर मिल गया ।


लेकिन ये खुशी ज्यादा दिन नहीं रही क्योंकि जिस जगह पर अजीत रहता था उसका रूममेट उसको धक्के मार कर निकाल देता है 

“अबे ! तू गे है और पूरी ज़िंदगी गे ही रहेगा मैं तुम को अपने साथ नही रख सकता हूँ।“

अजीत रोने लगा और बाहर ही खड़ा रहा...

“क्या मैं इंसान नहीं हूँ जो तुम मुझको मारते हो।“

और अजीत अपना बैग लेकर बाहर की तरफ जा ही रहा था तभी दिनेश उसको देखता है कि वो रोते रोते जा रहा है।

“क्या हुआ तुम क्यों रो रहे हो ?’

“कुछ नहीं ,ये समाज कभी हमें कभी जीने नही देगा और हमारे रिश्ते को कोई नाम नही देंगे”

“तुम मेरे साथ चलो आज से मेरे साथ ही रहोगे ”

उसका बैग और उसको साथ में लेकर अपने रूम में चला आता है।

उस रात को....

रात को दोनों रूम में ही रहे । दिनेश बाहर कुछ खाने के लिए जाता है तो अजीत का मन फिर से लड़कियों की तरह सजने का होने लगा, वो पूरी तरह सज कर बैठ गया । 

कुछ देर बाद दिनेश जब आया तो वो अजीत को इस तरह देख कर उसका प्यार और जाग जाता है।

और पूरी रात दोनों एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे ।

लेकिन कुछ दिन के बाद सब उनको गाली देने लगे और समाज से निकालने लगे । लेकिन फिर भी लोगों से लड़ते रहे और फिर एक दिन कोर्ट का जब फैसला आया कि कोई भी लड़का लकड़े के साथ रह सकता है। तब दोनों खुले समाज के सामने अपने रिश्ते को एक नाम देते हैं। और दोनों खुशी खुशी रहने लगते हैं ।



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