एपिसोड 4 शालू..द अन्वाटेड
एपिसोड 4 शालू..द अन्वाटेड
पूरे गांव में ढिंढोरा पिटवाई जाती है। आज सभी गांव वालों को खाप पंचायत में हाजिर होना है। हरियाणा में सात गांवों के सरपंच मिलकर फैसला देते है। इन पंचायतों के फैसले गांव के लोग एकमत से मानते हैं।
कोतवाली का दरोगा रोज़ वैध जी के यहां केस डायरी ले आता है। हम कोई केस नाही करत् है۔۔۔ वैध जी कहत् हैं हमारी खाप पंचायतों के फैसला ही सब कुछ होत् है।
आज आजयो देखन् दरोगा जी, दरोगा जय महाराज जी की हाथ जोड़ निकल जाता है। अपने सिपाहियों से खींसे नीपोर कर खीं-खीं भद्दी भासा में कहता है। थोड़े दिन उस साल्ली सालू के साथ मजे ...एक सिपाही डरते-डरते कहता साहिब डायन है।
सारे लोग बड़े से बरगद के पेड़ के आसपास इकट्ठा हो जातें। वो छीछोरें मरद जो कई बार फटकार खा चुके थे। सालू से खुन्नस रखतें हैं। कुछ छोरियां और लुगाइयां सहानुभूति रखतीं हैं। कछु लुगाइयां आपस में कानाफूसी करती है अरे सालू का कई जाता। "राधे" ने हाथ ही तो लगावत् है। देंखें क्या फैसला लेती है ? खाप पंचायत
सात खटिया लगी रहती है। जिन पर सरपंच बैठे हुक्का गुड़गुड़ा रहे हैं। विचार-विमर्श हो रहा है पंचायत की तरफ से माइक पर अपराधीन सालू का नाम पुकारा जाता है। खाप पंचायत के सामने हाजिर हो ,सालू बिंदास, बैखोफ सामने आ खड़ी होती है। माई बापू घिघीयाए रहते हैं वो जानते सखत फैसला देंगे पंच।
पंच "राधे" तुम वादी हो क्या आरोप है। राधे को व्हील चेयर से दोस्त लाता है, तो सालू देखते ही मुंह में लुगड़ा दबा कर खीं-खीं-खीं हंसने लगती है। सब तरफ खौफ से चुप्पी छा जाती है। गांव वाले जानते हैं। ये खाप पंचायतें "तुगलकी फरमान जारी करती है"....,पन नई छोरी को कौण समझाए।
खाप पंचायतों का बड़ा खौफ रहता है। छोरी बोहोत दांत निपोर रही है। क्यों रे नाथूराम छोरी को ढ़ंग -ढ़ंगार नी सीखाया थारी लुगाई ने बड़ों के सामने दांत नहीं निपोरें है।
सालू की माई पास ही खड़ी रहत् तो, को जोरन से चमटी नोचन् दे बोहोत हंसी आ री बेसर्म धीरन् से घुड़की देत् है।
राधे कहता है, म्हारे घर छोड़ दो वैध जी राधे की तरफ से बोलते हैं तो सरपंच कहते हैं। राधे ही वादी है वहीं बोले, आप पंच हो हम तो फैसला लेंगे आप बैठो ।
राधे की लुगाई से कहा जाता है। तूने कछु बोलना है पति की तरफ़ से बड़े से घुंघटें में वो यही कहत् सकी है डरते-डरते मैणू तो ये लागे है,पंच साहाब जो लोगन् औरतों की इज़्ज़त नी करें है, जिस घर में मरद् लुगाई को जनावर से भी बैज समझे औरन् दुसरन् छोरियों को गंदी नज़र रखे उते् साथन् यही होवे है...,बस्
वैध जी और घर के दूसरन् मरद् तिलमिला जात् हैं। देखन् आज गूंगी की भी आवाज अई गई गजब भई जिन घरन् का नमक खावत् है उके साथन् ही नमक हरामी।
क्रमशः