एक्टिंग क्लास
एक्टिंग क्लास
मेहबूब गंज का चंपक आज बहुत खुश था आखिरकार उस्ताद रंगीला ने उसपर दया करके उसे दिल्ली की उनकी शिष्या और भतीजी बिजली रानी के पास एक्टिंग के गुर सीखने को भेज दिया था।
चलते समय उस्ताद ने कहा था, "बेटे बिजली तुझे एक्टिंग के सब गुर सीखा देगी, लेकिन मेहनत बहुत करनी पड़ेगी।"
"उस्ताद मेहनत से कहाँ डरता हूँ मैं, बस एक बार एक्टिंग सीख जाऊँ फिर तो बॉलीवुड से इधर रुकना ही नहीं है।" चंपक ने उस्ताद रंगीला के पैर छूते हुए कहा था।
बिजली रानी उसे दिल्ली से सटे नोएडा में उसके खुद के डमडम स्टूडियो में मिली। लंबी-छरहरी, सुंदर, उसे देखते कर्कश आवाज में बोली, "आ गया तू........अकेला ही आया है?"
वाह, इसे तो अपने आने की पहले से ही खबर है सोचते हुए चंपक बोला, "हाँ जी......"
"अकेला ही सब संभाल लेगा तू?" बिजली रानी ने सीकिया पहलवान चंपक से पूछा।
"जी उस्ताद ने अकेले ही भेजा है।" चंपक खुश होकर बोला।
"अबे दस की जगह एक को भेज दिया.........?"
"हाँ जी......" चंपक ने जवाब दिया उसे खुशी थी की उस्ताद ने नीटा, भोला, कालू वगैरह को उसके साथ नहीं भेजा, अब वो अकेला खूबसूरत मैडम से एक्टिंग के गुर सीखेगा।
"बहुत खुश नजर आ रहा है, आ मेरे साथ।" कहकर बिजली रानी ने चंपक को अपने पीछे आने का इशारा किया।
वो उसे स्टूडियो के एक बड़े हिस्से में ले गयी वहां पांच बड़े-बड़े ट्रक खड़े थे। उनकी और इशारा करके बिजली रानी बोली, "देख कल से यहाँ फिल्म, 'कसम उड़ान झल्ले की,' शूटिंग होनी है। और फिल्म का जरूरी सामान इन ट्रकों में आया है इसे उतार कर सामने बने हॉल में रख दे, कर लेगा इस काम को या सिखाना पड़ेगा?"
चंपक के कहने पर बिजली रानी ने बताया की सिर पर रखने के बजाय पीठ पर रख कर उतारना।
चलो अपनी ट्रेनिंग शुरू, एक्टिंग का पहला गुर तो पता चला, सोचकर चंपक ने ट्रकों का सामान उतारना शुरू कर दिया। बहुत भारी सामान था, भारी-भारी गट्ठर, उनसे भारी लकड़ी के बाक्स। जब उसने पाँचवाँ ट्रक खाली किया तो शाम के पांच बजे थे। वो थक कर चूर हो चुका था और वही सामान के बीच गिर पड़ा।
तभी बिजली रानी वहां आयी आइस क्रीम खाती हुई और अपनी कर्कश आवाज में बोली, "लेट क्यों गया, ऐसा कर शूटिंग के लिए पचास खच्चर लाये गए है, ये उन्हें नहलाने का टाइम है, जाकर उन्हें नहला दे........तेरी हालत उनके जैसी है खुद भी नहा लेना……..कर लेगा या सिखाना पड़ेगा?"
चंपक के कहने पर बिजली रानी ने उसे खच्चर को नहलाने वाला पानी का पाइप पकड़ना सिखाया।
चलो एक्टिंग का दूसरा गुर मिला कहकर चंपक पहले खुद नहाया और उसके बाद खच्चरों को नहलाया। आखिरी खच्चर को नहला कर वो हटा भी नहीं था की बिजली रानी सवा छह फिट के बांस जैसे पतले आदमी के साथ वहां आयी और बोली, "झुन्ना मल, ये तेरा आदमी नहीं है?"
"नहीं मैडम, कितनी बार कहूँ, लेबर आज हड़ताल पर है।"
"तो ये कौन है?"
"मुझे क्या पता।"
बिजली रानी ने उस पांच फ़ीट दस इंच के मरियल से युवक को देखा जो उसके कहने पर सुबह से गधों की तरह काम पर लगा हुआ था। अचानक वो अपनी कर्कश आवाज में गुर्रा कर बोली, "इधर आ और ये बता कौन है तू?"
चंपक के बताने पर उसकी आँखों में उस्ताद और चाचा रंगीला का क्रोध भरा चेहरा नजर आने लगा, लेकिन वो खुद को संभाल कर बोली, "चंपक आज के लिए इतना ही सबक काफी है, बाकी कल देखेंगे। ऐसा कर किचन से खाना खाकर यही खच्चरों के पास ही सो जाना।"
"जी बिलकुल।" चंपक ने खुश होकर कहा।