एक प्रसंग
एक प्रसंग
सोलह वर्षीय रानी अपने पिता के साथ ट्रेन में सफर कर रही है। वो और उसके पिता दोनो ही अपने कजिन की शादी में सम्मिलित होने के लिए जयपुर से जोधपुर जा रहे है। ट्रेन सही समय पर है। सर्दियों का समय होने के कारण उसमे ज्यादा भीड़ भाड़ भी नहीं है। झुटपुटा होने वाला है सो रानी अपनी आरक्षित सीट पर लेट चुकी है। उसके पिता अपनी सीट पर बैठे हुए पुराने गाने सुन रहे है। क्योंकि उन्हें पुराने गाने ज्यादा पसंद है। कुछ देर ही हुई होगी कि ट्रेन रुकी। रानी ने खिड़की से झांक कर देखा उसे बाहर जगमग जगमग रोशनी दिखाई दी। शायद अगला स्टेशन आ चुका है वो फुसफुसाई और अपनी नजरे खिड़की से उठा कर अपने पिता की ओर कर ली ये देखने के लिए कि वो कर क्या रहे हैं। अपने पिता को आराम से गाने सुनता देख उसने अपनी आँखे बन्द की और निश्चिन्त होकर लेट गयी। ट्रेन ने सीटी दी और अपने गंतव्य की ओर चल दी। कुछ ही मिनट गुजरे हुए होंगे उसके कानो में कुछ लोगों की हंसी के स्वर गूंजे.जो इसी स्टेशन से ट्रेन में चढ़े है। !हाहाहा देखो तो पुराना आदमी है,तभी तो पुराने गाने सुन रहा है। आज के मॉडर्न जमाने में मॉडर्न अंग्रेजी गाने के दौर में ये पुराने गाने.ही ही ही कह वो दबी हंसी हंस दिये। उनमे से दूसरा बोला कोई गांव वासी लग रहा है रहन सहन से तो। सफेद बाल पेंट शर्ट और उस पर पैरो में ये सस्ती चप्पल। सच में गंवार तो गंवार ही होता है।
सुनकर रानी ने आँखे खोली और सामने देखा तो सामने तीन नव युवक हंसते हुए आपस में बतिया रहे थे। रानी समझ गयी कि ये सब उसके पिता के बारे में ही बात कर रहे हैं। कुछ सोच कर वो उठी और अपने पिता के पास जाकर बैठ गयी और उनसे बाते करते हुए बोली,'पिताजी एक बात बताइये अगर अतीत नहीं होगा तो क्या वर्तमान का होना सम्भव है'?रानी के पापा ने अपना मोबाइल बन्द किया आया और उसकी ओर देख बड़े ही प्यार से बोले, 'हमारा गुजरता हर लम्हा अतीत में ही दर्ज होता है रानी फिर ये तो सम्भव ही नहीं है कि अतीत के बिन वर्तमान हो'।
सुनकर वो अभी ट्रेन में चढ़े कुछ युवको की ओर मुखातिब हुई और बोली, ' जिस तरह अतीत से जुड़े बिन वर्तमान सम्भव नहीं उसी तरह व्यक्ति होता है, उसका स्वभाव उसकी पसंद नापसंद होती है। जो अतीत में कहीं न कहीं उसे सुख,जानकारी देकर गयी है। आपको नये गाने नया कल्चर नई चीजो के बारे में जानना पसंद है उसी तरह हमारे पिताजी को पुराने दौर के गाने पसंद है। उन्हें उसमे आनंद मिलता है, रस मिलता है तो इसमे हंसने वाली क्या बात हो गई,इनका मजाक उड़ाने वाली क्या बात हो गयी और पहनावे का तो ऐसा है भाईसाहब,'सादा जीवन उच्च विचार' ये शब्द तो सुने ही होंगे आपने। आप सब लोगों ने मजबूरी वश ये सभ्य रहने की तमीज क्या सीख ली है सादगी पसंद इंसान आपको गंवार नजर आने लगा। आप अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ है तो ये भी आप लोगों से कम नहीं है। किसी को भी कम आंकने की गलती आप कर रहे है वो भी तब जब आप स्वयम को आधुनिक कह रहे हैं। रानी ने कहा और अपने पिता की ओर देख, बोलकर चुप हो गयी। वो भी कम नहीं तुरंत बोल पड़े 'लो हमने कौन सी गलत बात बोल दी,वही कहा जो हमे कहना था। जो हमे लगा। ' उन तीन युवको में से एक ने कहा।
रानी शांति से बोली 'अपने से बड़े व्यक्ति के बारे में कुछ अपशब्द बोलकर आप ये समझ रहे है कि आपने उचित कहा'। 'जी बिल्कुल' वो बोले। । रानी उन लोगों से बात कर ही रहे होती है कि तभी टिकट चेक करते हुए उस बोगी में टीटी आ जाता है। टीटी को देख उन सबकी हवाइयां उड़ जाती है। वो दोनो एक दूसरे की ओर देखने लगते हैं रानी के पिता ने उन तीनो के चेहरो की ओर देखा जिनके चेहरे का रंग उड़ गया था। शायद इन सबके पास टिकट नहीं है ये सोच कर उन्होंने अपने पास मौजूद रेलवे पास दिखाते हुए टीटी से कहा 'उन बच्चो की ट्रेन छूटने वाली थी इसीलिए वो टिकट नहीं ले पाये हैं जो बोगी मिली उसमे चढ़ गये,आप तीन टिकट जनरल की बना दीजिये अगले प्लेटफॉर्म पर ये सभी उतर कर उस बोगी में चले जाएंगे'। बात सुन कर टीटी ने पलटकर सरसरी निगाहों से तीनो की ओर देखा। तीनों ने अपना काम बनता देख मौन साध लिया जिसे देख टीटी एक बात फिर पलटा और रानी के पिताजी की ओर देखते हुए बोला 'हो सकता है आप सही कह रहे हो आपके पास झूठ बोलने की कोई वजह भी नहीं है। आपके पास रेलवे पास है। इसका अर्थ ये हुआ कि आप रेलवे कर्मचारी है'। 'जी बिल्कुल मैं जयपुर में कार्यरत हूँ'रानी के पिता ने कहा तो टीटी ने बातों से सहमत होते हुए टिकट बना कर दे दी और वहां से आगे बढ़ गया। उसके जाने के बाद तीनो एक दूसरे की ओर देख आगे बढ़ते हुए बोले, 'थैंक्स अंकल'!,हमे समझाने के लिए कि व्यक्ति की सभ्यता उसके कपड़ो से नहीं बल्कि उसके व्यवहार से आँकनी चाहिए। ' उनकी बात सुन रानी के पिता बोले 'बेहतर'आखिर समझ तो गये। आधुनिक समय के साथ चलने की इस दौड़ में हम मानवीय मूल्यों को पीछे छोड़ते आ रहे है,जो कि किसी भी देश के भविष्य के लिए सही नहीं है। ये बात सदा स्मरण रखना "वृक्ष कितना भी फल फूल ले लेकिन उसे ताकत और मजबूती दोनो जड़ो से ही मिलती है"। 'जी' सबने कहा। सब मुुुस्कुराने लगते है। वहीं ट्रेन अपने गंतव्य की ओर दौड़ जाती है।
