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kacha jagdish

Children Stories

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kacha jagdish

Children Stories

एक कहानी

एक कहानी

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एक बहुत ही सुन्दर सा जंगल था। उसमें हर तरह के जानवर थे और पेड़ पौधों से भरा हुआ था, मानो तो वन्य जीवों के लिए स्वर्ग ही था। उसमें एक हिरण का झुंड था, उसमें हाल ही में एक हिरण के बच्चे ने जन्म लिया था। उसे जन्मे हुए बस दो - चार दिन ही हुए थे। 


बच्चा अभी पैरों पे चलना ही सिखा था। वो लड़खता धीरे धीरे चलता, थकता, हारता और बैठ जाता। उतने में ही कहीं से उसकी मां आती दुलारती और चलने के खड़ा करती। और कहती "कुछ भी हो जाये हमेशा झुंड के साथ रहना। कुछ दिन ही बीते थे ये सब को, अचानक एक दिन शाम के समय वो सब मैदान में थे और आराम से अपने काम में लगे हुए थे तभी उन पे शिकारी जानवरों ने हमला कर दिया। वो डर के इधर उधर भागने लगे उसी में वो बच्चा अपनी मां से अलग हो गया। इसी भागमभाग में झुंड दो हिस्सों में बंट गया और वो बच्चा अपनी मां से अलग दूसरे झुंड के साथ भागने लगा और तो और वो झुंड दूसरे झुंड के विपरीत दिशा में भाग ने लगा। आखिरकार खतरा टल गया और वो झुंड के साथ एक घने जंगल में पहुंच गया। वो काफी डरा हुआ था लेकिन झुंड के बाकी लोग पहले की तरह हो गए। वो डरा सहमा सब देख रहा था। थोड़ी देर में डर और थकान के कारण कब आँख लग गयी उसे पता ही नहीं चल।


आँख जब खुली तब उसके सामने एक नई सुबह थी, पहले से एकदम अलग। झुंड अपने रोजमर्रा के काम लगे हुए थे। वो अभी डरा हुआ था। लेकिन उसे याद था उसकी मां की कही हुई बात। झुंड आगे बढ़ने लगा उसके साथ वो भी आगे बढ़ ने को चल पड़ा। लेकिन झुंड के लोग उसके साथ बड़े ही अलग अलग तरीके बर्ताव करते थे। कुछ दया दिखाते, कुछ घूरते, कुछ देखकर भी अनदेखा करते और कुछ उसे डरा हुआ देख कर बातें बनाते कितने दिन जी पायेगा। इसी तरह दिन बीतने लगे। उसके साथ वो झुंड के साथ चलना और रहना सीख गया।


एक दिन मैदान में वो झुंड गुजर रहा था तभी उसे बिछड़ा बाकी झुंड दिखाई दिया और दोनों झुंड मिलकर एक हो गए। 


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