एक दूजे के साथ

एक दूजे के साथ

1 min
251


मरने चली थी अनाथ सिया,जो कुंवारी मां बनने वाली थी। जिस नदी में कूदने जा रही थी, वहीं एक अम्मा भी अपने बेटों के द्वारा घर से निकाले जाने से दुखी आत्महत्या करने जा रही थी। दोनों ने एक दूसरे को देखा कूदने से पहले और दोनों ही रुक गई। अपनी अपनी आपबीती सुनाकर दोनों का मन हल्का हो गया और दोनों ने एक नई ज़िन्दगी का रास्ता चुना जिसमे दोनों तन्हा नहीं, एक दूसरे के साथ खड़ी थी मां बेटी बनकर। रिश्ते हमेशा खून के ही नहीं होते। इस दुनिया में दिल के रिश्तों से ज्यादा अच्छा कुछ नहीं होता।


Rate this content
Log in