Ankita Bhadouriya

Children Stories Inspirational

4.9  

Ankita Bhadouriya

Children Stories Inspirational

एक बहुमूल्य सीख

एक बहुमूल्य सीख

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शिखा के पिताजी एक फौजी हैं, उस वक्त वो 8–9 साल की थी, जब पूरा परिवार साथ बैठकर 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड़ देख रहा था।

बीच-बीच में उसके पिताजी टीवी में चल रही परेड़ के बारे में उसे बताते भी जा रहे थे। वो बोले - "आज हमारे शहीदों और सैनिकों को वीर चक्र, परमवीर चक्र आदि से सम्मानित किया जाएगा।"

उन्हें देखकर शिखा ने पूछा - "पापा, आपने भी तो कारगिल की लड़ाई लड़ी थी, आपको मेडल क्यों नहीं मिला, अगर मिलता तो कितना अच्छा होता।"

शिखा के पिताजी ने कुछ सोचते हुये, उससे पूछा - "बेटा, कारगिल में मैडल ज्यादातर उन्हें मिला था, जो शहीद हो गये थे। तुम्हें पापा चाहिये या मैडल?"

उनकी बात सुनकर शिखा ने उन्हें गले लगाकर कहा - "मुझे मेरे पापा चाहिये।"

फिर उसके पिताजी ने उसे प्यार से समझाया - "बेटा, कारगिल की लड़ाई में हजारों की संख्या में सैनिकों ने योगदान दिया था, सबको तो मैडल नहीं मिल दिया जा सकता। और मैडल ना मिलने से उनका योगदान भी तो कम नहीं हुआ । कुछ लोगों ने हमसे बड़ा पराक्रम दिखाते हुये शहादत दी तो उनका नाम सबको पता है। और बेटा, ये भी मत भूलो कि लड़ाई सैनिक लड़ता है पर मैडल अधिकारियों को मिलता है।

बेटा, बात सिर्फ युद्ध की नहीं है, तुम्हारे स्कूल में पढ़ाई हो या खेलकूद जरूरी नहीं हर बार तुम्हे मैडल मिले, लेकिन तुम्हारा भाग लेना , तुम्हारा योगदान देना और जीत के लिये मेहनत करना ज्यादा जरूरी है। मैडल मिले तो अच्छा, ना मिले तो भी अच्छा। बड़ी बात ये है कि तुमने प्रतियोगिता में भाग लेकर बहुत कुछ सीखा जो तुम्हारे काम आयेगा। बस मेहनत ऐसे करना कि बाद में दुःख ना हो कि हमने पूरी कोशिश नहीं की ।

उस युद्ध में हमने योगदान दिया और भारत जीता बस यही काफी है। यही हमारा मेडल है।"

                         

उस दिन की बात शिखा के अबोध मन पर कभी ना मिटने वाली छाप छोड़ गई। वो एक ऐसी सीख थी जिसने जीत-हार की परवाह किये बगैर प्रतिस्पर्धा में भाग लेने की प्रेरणा दी।


आज वर्षों बाद शिखा ने ओलंपिक की तीरंदाजी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर ना सिर्फ अपना और अपने परिवार का बल्कि संपूर्ण भारत राष्ट्र का गौरव बढ़ा दिया है। उसकी सफलता की सबसे बड़ी वजह उसके पिताजी की वही सीख है, जिसमें उन्होनें ये सिखाया था कि आप ईमानदारी से मेहनत करें, लक्ष्य पाने का प्रयास करें। आपका ये जीत के लिये कोशिश करना आपकी सबसे बड़ी सफलता है। इस कोशिश में अगर आप हारते भी हैं तो भी आप उन लोगों से ज्यादा सफल हैं जिन्होने हार के डर से प्रयास ही नहीं किया।



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