दोस्ती के मायने

दोस्ती के मायने

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बौने खयालों से लिपटी नक्काशी आज सुबह से असमंजस में थी कालेज जाऊँ या नहीं?

आज रोज़ डे है हर कोई अपने-अपने फ़ेवरेट को कोई रेड तो कोई यल्लो गुलाब देगा मैं क्या करूँगी। किसी की भी फ़ेवरीट भी तो नहीं, आँखें थोड़ी नम हो गई मन ही मन सोचने लगी सामान्य रुप रंग भी एक अभिशाप है ।श्याम रंग से ग्रसित नक्काशी ने खुद को एक दायरे में बांध लिया था।

हर हुनर में माहिर, कोई भी डिबेटस हो हर विषय पर बिंदास बोलकर सामने वाले को परास्त करती थी । स्पोर्ट्स में अव्वल, एकाउंट में मास्टर बस अपने आउट लुक को लेकर मन में हीन भावना की ग्रसित नक्काशी ने तय कर लिया आज कालेज नहीं जाना।

पर शीना जो उसकी बचपन की सहेली थी नक्काशी की नखशिख पहचानती थी कि आज मैडम घर के कोने में कैद होने वाली है , तो बिना कोई फोन किए आ धमकी ओर सीधे आर्डर देकर बोली "चलो रेडी हो जाओ कालेज के लिए देर हो रही है।"

नकाशी ततफफ करने लगी, बहाना बनाते बोली "प्लीज़ तू जा आज मेरी तबियत ठीक नहीं।" पर शीना ने नक्काशी की एक नहीं सुनी दोनों कालेज पहुंचे । हर कोई खुशखुशाल अपने-अपने फ़ेवरीट को ढूँढ कर गुलाब की दे ले कर रहे थे।

शीना ने अपने बाय फ्रेंड विकास को रेड रोज़ दिया दोनों खुशखुशाल थे, नक्काशी एक ओर सर झुकाए खड़ी थी कहीं से कोई आके उसे भी कोई गुलाब दे उस गुंजाइश की उम्मीद किए बिना झूठमूठ किताब में सर टिकाए बैठ गई।

इतने में पीछे से किसीने आँखें दबाकर नकाशी के कानों में कहा "हैपी रोज़ डे" यू आर सो ब्यूटीफूल क्या हम दोस्त बन सकते है ?" नकाशी के सामने साक्षात कामदेव का रुप वरूण जो कालेज की जान था वो हाथ में यल्लो गुलाब लिए खड़ा था, नक्काशी समझ नहीं पाई क्या रिप्लाइ करे बस पैर के अंगूठे से टाइल्स कुरेदने का व्यर्थ प्रयत्न करने लगी तो वरूण ने हौले से ठोड़ी उठाते नकाशी का चेहरा उपर किया ओर बोला "डिबेटस में बोल-बोल कर सबके छक्के छुड़ाने वाली प्यारी सी लड़की को साँप सूंघ गया क्या ?क्यूँ यूँ अकेलेपन को एन्जॉय कर रही हो चलो केन्टीन में एक सरप्राइज़ है।"

नक्काशी रो पड़ी ओर वरूण के साथ जैसे ही केन्टीन में कदम रखा सारे क्लासमेट ने रोज़ डे विश करते फूलों की बारिश कर दी, नक्काशी आज खुद को सुंदर अति सुंदर महसूस कर रही थी वरूण के गले लगकर थैंक्स बोलने ही वाली थी कि वरूण ने उसके होंठों पर ऊँगली रख दी ओर बोला "मैडम तन की खूबसूरती कोई मायने नहीं रखती, मन की सुन्दरता इंसान की असली पहचान है, तुम नहीं जानती तुम कितनी सुंदर हो। हम में से कोई भी तुम्हारे आइक्यू लेवल को छू भी नहीं सकता ओर इतनी टेलेंटेड होने के बावजूद तुम में इगो की एक बूंद तक नहीं । तुम्हें नहीं मालूम सब जलते हैं तुमसे तुम इस कालेज की शान हो।"

आज नक्काशी को वरूण के रुप में अच्छा दोस्त मिल गया था जिसने नकाशी को खुद से पहचान करवाई थी। नक्काशी ने एक ही झटके में हीन भावना को दिमाग से रुख़सत कर आत्मविश्वास को बिठा लिया ओर दोस्तों के साथ आँख से आँख मिलाकर बातें करते एन्जॉय करने लगी ओर एक दोस्त के हाथ से गुलाब छिन कर नक्काशी ने वरूण को थमाते कहा" यू आर माय बेस्ट फ्रेंड इसे कहते है सच्चा दोस्त, तुम नहीं जानते तुमने आज मुझे कितनी खुशी दी है ।मैं हमेशा तुम्हारी ऋणी रहूँगी।"

और आज दोस्ती की बदौलत एक श्याम रंग से ग्रसित लड़की आत्मविश्वास से चहकने लगी थी।

शीना ने आँखों के इशारे से वरूण को थैंक्स कहा वरूण ने थम्स अप करके डन का इशारा किया इससे एक बार ओर साबित हुआ दोस्ती के रिश्ते हंमेशा नायाब थे ओर रहेंगे।।


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