दोस्त यार !
दोस्त यार !
कुछ शुरू से पढ़े हैं नर्सरी से दस तक ,कुछ दस से बारह फिर सब इधर उधर जा पहुंचे ,किसी का हाल पता चलता रहा कोई पच्चीसों साल बाद मिला ,जो आस पास के थे वो दिखते रहे कभी इधर कभी उधर सड़कों पर आते जाते कोई कोई मिल जाता किसी समारोह में किसी ऐसी जगह जहाँ कोई कॉमन कनेक्शन होता ।
ये दोस्त यार हैं हमारे ।दो तीन साल पहले एक ग्रुप बना व्हाट्सएप पर कुछ लोग आए कुछ जुड़ते गये अब 47 हो गए हैं ।सब अपनी अपनी मेहनत लगन और नियति के हिसाब से अपनी अपनी जगह पर ,ए डी जे ,एस पी,जी एस टी कमिश्नर, सुप्रीम कोर्ट के वकील ,सॉफ्टवेयर इंजीनियर,डॉक्टर ,एयरफोर्स आर्मी में कोई ,किसी ने व्यवसाय किया है ,चार छै मास्टर हैं दो लोग वकील हैं हमारी तरह ,एक सरकारी वकील,कोई खेती बारी ही कर रहा है, एक आर एस एस में बड़े पद पर हैं पर एक बात कॉमन है अलग अलग जीवनशैली और दूर दूर रहने के बाद जब भी हम जुटते हैं बातें उसी दौर की होती हैं कोई किसी के पद की आभा नही देखता अपना वही दोस्त दिखता है जो तब था ,जो तब से अब तक है ।सहज बातें एक दूसरे की तब की कहानियाँ ,स्कूल में पड़े डंडे ,कॉलेज की सुनी अनसुनी कहानियां ,चिढाना किसी किसी बात पर ,चिटकाना जिस बात से चिटकता हो कोई,क्योंकि दुनियां भर के लिए आप जो भी हों जो नस दोस्त जानता है आपकी जो कोई और नही जान पायेगा ,किस वक्त कितना दबाव डालना है उस नस पर ये भी जानता है ,इस समय सब खाली हैं दिनभर कभी कभार देररात तक वही सब चलता है व्हाट्सएप पर ,इस चक्कर मे पत्नियों को भले दिक्कत होती हो सबकी ,अरे दिनभर इसी में रहते हैं !!!
पर सब किनारे हैं आजकल ! इसी में तकनीक ऐसी है कि वीडियो कॉल भी सम्भव है तो वो भी ख़ूब हो रही है बातें वहीं जैसे लिखित उससे बढ़ के मौखिक
का हो भाई बलवा झर गइल तोहार !!
हेके देखा ससुर खेत्ते से आवता अबहींन!!