धूर्त
धूर्त
"तुम ऑफिस सामान्य बस से जाते हो, ऐ.सी. बस से या ऑटो से", बातचीत के बीच में अचानक जब सुमित ने यह सवाल किया, तो अमित हक्का-बक्का सा रह गया। सवाल पूछने का कारण समझ नहीं पाया तो पूछ लिया, "यह सवाल क्यों सुमित।"
"बस ऐसे ही।"
"जहां तक मैं तुम्हें जानता हूं, तुम ऐसे ही कुछ नहीं पूछते हो।"
"समझ नहीं आ रहा था, कैसे पूछूं", - गर्दन झुकाए, पैरों की उँगलियों से मिट्टी सरकाते हुए, सुमित ने अपनी विवशता जाहिर की।
"कैसे पूछूँ? क्या कैसे पूछूँ सुमित? तुम तो मेरे मित्र हो, फिर मुद्दे की बात करने में इतना विलम्ब क्यों ?"
"बस, कुछ नहीं, तुम्हारी मासिक आमदनी समझना चाह रहा था"- सकुचाते हुए, बिना आंख मिलाये, सुमित ने जवाब दिया।