डंडा महाराज=========
डंडा महाराज=========
एक चकैया गाँव था वहाँ पर एक डंडा महाराज रहते थे। वे अपनी कुटी में रहकर भजन - पूजन व साधना किया करते थे। गाँव में प्रतिदिन जाकर भिक्षावृत्ति करते थे उससे ही उनकी आजीविका चलती थी। वह अपने चकैया गाँव का व लोगों का बहुत भला चाहते थे। उनके होते हुए गाँव में कोई बुराई जड़ नहीं जमा पाई थी। वह अपना डंडा लेकर ही सदा चलते है डंडा पटककर ही वह दूर से ही नशेबाजों व धूर्त चालाक लोगों का कलेजा हिला देते थे।
आवारा कुत्ता व बिल्लियों का तो गाँव में नामोनिशान नहीं था।सभी उनका आदर करते थे सभी उन्हें दण्डवत महाराज कहते थे। आवारा बच्चों नशा करने वाले व स्कूल से बंक मारने वालों को वो बहुत डांटते थे। वह उन बच्चों को पकड़कर सीधा स्कूल लाते या उनके माँ - बाप को जाकर उनके भले के बारे में कहते थे। सभी गाँव वाले उनकी इस आदत के कायल थे व दिल से उनकी इज्जत करते थे। पढ़ने वाले बच्चों को वो राष्ट्रीय पर्वो पर विधालय आकर अपनी भिक्षावृत्ति से जुड़ी राशि से इनाम दिया करते थे गाँव के सभी लोग अपने डंडा महाराज का विशेष ध्यान धरते थे एक बार डंडा महाराज ने गाँव में चोरी की मंशा से घुसे हुए आठ चोरों को अपने अकेले डंडे के दम से खदेड़ दिया था। सभी गाँव वालों को अपने डंडा महाराज पर गर्व था।
इस कहानी से हमें निम्न शिक्षायें मिलती हैं
( 1 ) भला करने के लिए थोड़ा सा भय भी जरूरी है।
( 2 ) भलाई का गुण का पता चलना।
( 3 ) अपने स्तर से हर आदमी को भला करना चाहिए।