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Shalini Dikshit

Children Stories

4  

Shalini Dikshit

Children Stories

डब्बू

डब्बू

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प्रिया अपने घर के लॉन में बैठी किताब पढ़ रही थी साथ ही सोच भी रही है कि इस छोटे से घर में वह कितनी खुश है। अभी-अभी शादीशुदा जीवन शुरू हुआ है बेटा दो साल का ही है और वो इस बड़े शहर में खुद के मकान में रहती है, धीरे-धीरे सारे सपने पूरे होंगे ऐसा उसको विश्वास है।

कॉलोनी का छोटा सा पिल्ला बार बार भौंक के डिस्टर्ब कर रहा है कई बार प्रिया ने उस पिल्ले को हट चुप कहकर उसको भगाया।

अब उसका ध्यान पिल्ले की तरफ चला गया, कितना प्यार करती थी वह इसको। कुछ बच्चों को जन्म देने के दो महीने बाद ही इन पिल्लो की मां चल बसी थी; प्रिया और कॉलोनी के लोगों ने दूध ब्रेड खिला-खिला कर इन पिल्लो को पाल लिया था।

 प्रिया का बेटा चुन्नू खाना खाने में बहुत नखरे करता था। प्रिया उसको खाना खिलाने के रोज नए-नए तरीके निकालती है। बड़ी मुश्किल से एक रोटी खाता था। फिर भी वो एक दिन तीन रोटियां बना कर बेटे के साथ लॉन में आ गई। तुरंत ही दो पिल्ले भी दौड़ कर लॉन में आ गए।

प्रिया ने चिंटू से कहा, "बेटू आज हम पप्पी के साथ खाना खाते हैं; एक बाइट आप खाना एक पप्पी खाएगा......."

चिंटू खुश होकर बोला, "वाह मम्मी मैं फ़ास्ट आऊंगा।"

प्रिया एक कौर बच्चे को देती और दो छोटे से टुकड़े दोनो पिलो की तरफ फेंक देती और ऐसे ही चिंटू को खाना खिलाना आसान हो गया।अब उनमें से एक पिल्ला चला गया था एक रोज आता है और दोनों टाइम चिंटू के साथ ऐसे ही खाना खाता है। प्रिया ने उसका नाम डब्बू रख दिया था।डब्बू धीरे-धीरे चिंटू के साथ ऐसे घुल मिल गया जैसे कि वह पालतू कुत्ता हो, प्रिया ने चिंटू का ध्यान रखना थोड़ा कम कर दिया था उसको विश्वास हो गया था कि वो पिल्ला चिंटू को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

डब्बू फिर लॉन के अंदर आकर भौंकने लगा तो प्रिया ने जोर से डाटा और ध्यान भी नहीं दिया वह बाहर की तरफ भाग रहा है ।एक दिन चिंटू खेलते खेलते डब्बू की पूंछ खींच बैठा अचानक से डब्बू काटने की मुद्रा में झपटा और चिंटू की उंगली में दांत लग गए, प्रिया ने उस दिन डब्बू को मारा और तुरंत चुन्नू को डॉक्टर के पास लेकर गई। उसको रोना आ रहा था इतने छोटे बच्चे को रेबीज का इंजेक्शन लगाना पड़ेगा। 

डॉक्टर बोला, "दांत तो लगे हैं लेकिन खून नहीं आया है, खंरोच सी है बस इसलिए इंजेक्शन की जरूरत नहीं है।" डॉक्टर की बात सुनकर प्रिया ने चैन की सांस ली।

अब प्रिया ने चिंटू के साथ डब्बू का खेलना बंद करा दिया है। वो उदास होकर लॉन में बैठ जाता ऐसे लगता जैसे माफी मांग रहा है लेकिन प्रिया उसको भगा देती अब उसको डब्बू अच्छा नहीं लगता था।

एक दिन डब्बू घर के अंदर तक आ गया और जोर-जोर से भौंकने लगा। वो प्रिया का कुर्ता भी पकड़ के खींच रहा था। प्रिया को इस बार लगा कि जैसे वह कुछ कह रहा है। 

उसने कहा, "क्या है रे डब्बू?"

और बोलते हुए उसके पीछे पीछे चल दी। वो बाहर की तरफ भाग रहा था, प्रिया उसके पीछे भागी डब्बू कॉलोनी के गेट की तरफ जा रहा था वो भी उसके पीछे जा रही थी। दोपहर का समय था कोई बाहर दिखाई नहीं दे रहा था गेट पर पहुंचते जैसे प्रिया के पैरों के तले की जमीन खिसक गई चिंटू अपनी तीन पहिया साइकिल को घसीटते हुए गेट से बाहर हो कर मेन रोड की तरफ जा रहा था प्रिया दौड़कर पहुंची चिंटू को पकड़ते हुए गुस्से में पूछा, "कहाँ जा रहे हो?" 

"चॉकलेट लेने!" चिंटू बोला।

प्रिया बोली, "पैसे कहां है; बिना पैसे के चॉकलेट कैसे मिलेगी?"

चिंटू ने जेब में से झूठ मुठ के पैसे निकाल के दिखाए। प्रिया दुख और खुशी के मिश्रित भावनाओं के साथ चिंटू को गले लगा लिया।

"चॉकलेट हम दिलाएंगे बेटा अभी घर चलो........" बोलते हुए चिंटू को गोद मे उठा लिया और डब्बू को भी गले लगा लिया। उसे लगा अब जैसे डब्बू मुस्कुरा रहा हो।

"तू ने मेरी जान बचाई है आज डब्बू......." प्रिया ने डब्बू को जमीन पर छोड़ते हुए कहा।

चिंटू को गोद मे उठाये एक हाथ से उसकी साइकल को घसीटते हुए वो वाचमैन के चैंबर की तरफ गई वो सो रहा था। 

प्रिया ने उसको डांटते हुए कहा, "तुम ड्यूटी के समय सो रहे हो.......अगर ये डब्बू ना होता तो अभी बच्चा गेट के बाहर चला जाता।


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