डब्बू बिल्ले का भाषण
डब्बू बिल्ले का भाषण
पिछले वर्ष गाँव में पंचायत चुनाव हुए। सामान्य शाखा के उम्मीदवार को सभापति बनाया जाना था। गाँव वालों ने तय किया कि इस बार किसी नौजवान को सभापति बनाया जाना चाहिए। डब्बू बिल्ले को चुनाव में उतार दिया गया। उसने गाँव में जगह-जगह ताबड़तोड़ भाषणबाजी की। उसके भाषणों में गजब का आकर्षण होता था। एक दिन उसने गाँव में विशाल सभा को संबोधित करते हुए कहा- "मेरे बिल्लानगर वासियों ! मेरे प्यारे भाई-बहनों ! मैं तुमसे यह नहीं कहता हूँ कि तुम मुझे भोट ( वोट ) दो। मैं यह कहता हूँ कि जिसे तुम सभापति पद के लिए योग्य मानते हो, उसे भोट देना। मित्रों ! अगर आपका डब्बू बिल्ला सभापति बनेगा, तो वह गाँव का खूब विकास करेगा। यह मेरा आपसे वादा है।
आपके खाने के लिए तमाम नये किस्म के चूहों की व्यवस्था की जायेगी। अमेरिका, चीन, जापान, इंग्लैंड सब देशों से सफेद, लाल, हरे सब रंगों के रंग- बिरंगे चूहे मंगाये जायेंगे। उनको खाने में आपको खूब मजा आयेगा। आपके पीने के लिए गाँव में उत्तम क्वालिटी के दूध की व्यवस्था भी की जायेगी। इसके लिए गाँव में एक विशालकाय डेरी प्लांट भी तैयार किया जायेगा, जहाँ सभी प्रकार के जानवरों का दूध मिलेगा। इस डेरी प्लांट में सिंधी, हरयाणवी, जर्सी जैसी उत्तम नस्ल की गायों का दूध मिलेगा। इसके अलावा मुर्रा भैंस और जमुनापारी बकरी का दूध भी इस प्लांट में मिलेगा। आप लोग बहुत कम कीमत में इस प्लांट से दूध घर ले जा सकते हैं और छक कर पी सकते हैं।
भाइयों-बहनों ! बुजुर्गों ! मैं आप लोगों की समस्या समझता हूँ। भाई-बहनों ! ये जो मनुष्य जाति के जानवर हैं, हमको बहुत कम दूध देते हैं। एक छोटे-से कटोरे में दो चम्मच दूध फेंक देते हैं, जैसे हम कोई भिखारी हों। मैं आप लोगों को बता देना चाहता हूँ कि हम भिखारी नहीं हैं। हमारा भी स्वाभिमान है। हम इनका काम आसान बनाते हैं। इन्हें मदद करते हैं। इनके घर के चूहों को मारते हैं। इनके घर के अनाज को सुरक्षित रखते हैं, लेकिन ये मनुष्य जाति के लोग हमारा शोषण करते हैं। हमको हमारी डाइट से बहुत कम दूध देते हैं। इनके बच्चे भी हमें बहुत परेशान करते हैं। जब हम गाँव में भ्रमण पर जाते हैं, तब इनके बच्चे हमें पत्थर मारते हैं। मनुष्य जाति के अलावा श्वान जाति के लोग भी हमें बहुत सताते हैं। जहाँ-तहाँ हमारे पीछे पड़ जाते हैं। मित्रों ! अब हमको एकजुट होना पड़ेगा और अपने अधिकारों के लिए सचेत होना पड़ेगा, तभी हम अपने आप सुरक्षित रख सकते हैं और जिंदा रह सकते हैं। साथियों ! अगर आप लोग इस तरह की व्यवस्था चाहते हैं और सुरक्षित रहना चाहते हैं, तो अपने प्यारे डब्बू बिल्ले को जरूर जिताना और दूध के गिलास में बटन दबाना। मेरा चुनाव चिन्ह है-दूध का गिलास।"
इस भाषण का जनता पर गहरा प्रभाव पड़ा और वह चुनाव के उपरांत गाँव का सभापति चुन लिया गया।
