डायरी छठा दिन
डायरी छठा दिन


प्रिय डायरी आज कारोना के चलते जिसे कोविंद १९ भी कह रहे हैं भारत बंद का छठा दिन है इक्कीस दिन के लम्बे सफ़र का ये ये छठा पड़ाव है साथ ही नवरात्रि का छठा दिन भी है... आज सुबह उठी तो कुछ अलसाई सी थी ... काम की थकान भी थी शायद... बाहर झांका कोई नहीं दिखा नीला आसमान हंस कर स्वागत कर रहा था खुश था की वातावरण शुद्ध हो गया है... गाड़ियों के धुएँ से निजात सी मिल गई तो आसमान और धरती दोनो खुश हैं पेड़ पौधे... पक्षी सभी प्रसन्न हैं ... चलो इस बंद में एक बात तो अच्छी हो रही है प्रदूषण कम हो गया है.... चलो अपने काम की तरफ बड़ते हैं... झाड़ू पोछा, बर्तन, कपड़े खाना और सबसे पहले पूजा ये सब कार्य ही अब दिनचर्या के हिस्से हैं और जरुरत पड़ने पर ऑफ़िस भी जाना है..... अपने सभी कामों की तरफ मै धीरे धीरे बड़ रही थी... फिर एक बार बाहर से आती आवाज़ों से आकर्षित हो बाहर झांका तो देखा सफ़ाई कर्मचारी थे जो सड़क की सफ़ाई के लिए आए थे .... मन में बहुत आदर हुआ इनके लिए आज पूजा के समय इनके भी स्वस्थ रहने की प्रार्थना करूँगी ये संकल्प ले मै फिर काम पर लग गई.... बाहर कभी पुलिसकर्मी तो कभी रोज के काम पर जाने वाले एक दो लोग दिख रहे थे... मन व्यथित था हम कितना लड़ते हैं.... धर्म के नाम पर ... जाति के नाम पर... अमीरी ग़रीबी का भेद करते हैं... आज इस महामारी मे कुछ भी तो काम नहीं आ रहा ना दौलत ना धर्म, ना ही जात पात किसी भी वर्ग किसी भी जात और किसी भी धर्म के व्यक्ति को ये वायरस पकड़ लेता है.... हम मै मै करते हैं और अंत में ख़ाली हाथ ही जाना है.... परन्तु हम समझ ही नहीं पाते जीवन के सत्य को और मृगतृष्णा की तरह सारी ज़िंदगी साधनो के पीछे भागते रहते हैं.... आज कुछ देर सभी के सुखी और स्वस्थ् होने की प्रार्थना करूँगी ऐसा सोच मेरे कदम पूजा घर की ओर चल पड़े.... मन की शान्ति के लिये उनकी शरण में जाना ही पड़ता है वही हर संकट से तारते हैं.... धीरे धीरे व्याकुल मन कुछ शान्त होने लगा था और मै अपनी दिनचर्या को आगे बढ़ाते हुए जल्दी जल्दी अपने काम कर रही थी... इसी बीच फ़ेस्बुक पर घर पर ही रहने का संदेश भी पोस्ट किया क्यूँकि मित्र भी मेरे परिवार का हिस्सा हैं उनका हाल पूछना और उनकी सेहत की चिंता भी मेरा कर्तव्य है इसलिए रोज एक पोस्ट रोज उनकी सेहत की चिंता करते हुए उनको घर पर ही अपने परिवार के साथ रहने की सलाह की होती है.... हम सामाजिक हैं तभी अपने से जुड़े व्यक्तियों की चिंता होती है... और देशप्रेम विरासत में मिला है इसलिए देश की भी चिंता होती है... उन तमाम देश की सेवा में तत्पर डाक्टर, नर्स, पुलिस, बिजली वाले, पानी वाले और भी सफ़ाई कर्मचारी और जितनी सेवाएँ इस बंद में भी कार्य कर रहीं हैं उनकी भी फ़िक्र होती है ईश्वर से प्रार्थना है उन्हें स्वस्थ रखे दीर्घायु प्रदान करे.... प्रिय डायरी आज इतना ही कल के इंतज़ार में...
कल का सूरज नई खुशी लाएगा
यही दुआ बार बार लब पर आती है।