Atul Agarwal

Others

2.5  

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चूरन वाले बाबा जी

चूरन वाले बाबा जी

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बिल्लू ९-डी, नई मंडी, मुज़फ्फरनगर (ऊ।प्र।) में १९५९ में पैदा हुआ।


और भी भाई बहन व् कजीनस।


छुट्टियों में बहार से भी बच्चे आते, जैसे कि आदरणीय दीदी यानि कि आदरणीय छोटी बुआ जी की आदरणीय लड़की। 


सामने वाले घर में श्री (वैद्य) शेर सिंह कश्यप जी रहते थे। आयुर्वेदिक वैद्य।


गौर वर्ण, आकर्षक व्यक्तित्व, गंभीर, लेकिन बच्चों से विशेष स्नेह, अकेले ही रहते थे।


बहुत धार्मिक, आर्य समाजी। रोज की दिनचर्या में गायत्री मन्त्र व् हवन।


मुज़फ्फरनगर शहर में शिव चौक से लगभग २ फर्लांग आगे भगत सिंह रोड पर दायें हाथ पर उनका दवाखाना था। नई मंडी घर से शहर दवाखाने रिक्शा से ही आते जाते थे।


उनके यहाँ भी छुट्टियों में बहार से बच्चे आते थे।


९-डी में जितने भी बच्चे होते, रोज सुबह ७ बजे के लगभग, उनके घर पहुँच जाते।


वह सब बच्चों को २-२ पुड़िया चूरन की देते। लेकिन उससे पहले हर बच्चे के गाल पर बहुत ही प्यार (धीरे) से एक एक चपत (चांटा) लगाते, दो उंगलियों से।


रविवार को बोनस, यानिकि ४-४ पुड़िया।


चूरन खट्टा – मीठा। शायद अनारदाने का। बच्चों को मज़ा आ जाता। 


वह चूरन से ज्यादा उनका प्रेम था। 


सब उनको बाबा जी (ग्रैंड फादर) ही कहते। चूरन वाले बाबा जी।


जब बिल्लू ने सन १९७३ में यू.पी. बोर्ड से एक ही बार में (बिना लुढ़के हुए) हाई स्कूल कर लिया, तो बिल्लू ने आदतन (नामकरण करने की आदत), चूरन वाले बाबा जी शेर सिंह कश्यप के नाम का अंग्रेजी अनुवाद कर दिया, लायन लायन कश्यप - लायन (शेर) लायन (सिंह) कश्यप।   


   

सन १९७५ के आस पास ८० वर्ष की आयु में उन्होंने शरीर छोड़ दिया।


उनके यहाँ छुट्टियों में बहार से आने वाले बच्चों के बारे में बिल्लू को अब कुछ नहीं पता।


चूरन वाले बाबा जी की प्यार से चपत लगाने की आदत बिल्लू की भी आदत बन गई। कोई भी बच्चा मिलता है, तो बिल्लू वैसे ही दो ऊँगली से प्यार से बच्चे के गाल पर चपत लगाता है, लेकिन सबसे बड़ा फरख है कि बिल्लू बच्चे को चूरन की पुड़िया नहीं देता। 


चूरन वाले बाबा जी को सभी बच्चों की ओर से नमन।  


ईश्वर से प्रार्थना है कि सभी बाबा (ग्रैंड फादर) चूरन वाले बाबा बन चूरन बाँटनें लगे। चारों ओर प्रेम की गंगा बहने लगेगी।  


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