चोरों की शामत
चोरों की शामत
एक भीमापुर गाँव था ग्रामीण परिवेश का आदिवासी अंचल का गाँव था। गाँव में प्राथमिक शाला थी गाँव के बच्चे बड़ी ही लगन से विद्यालय पढ़ने जाते थे बच्चों को पढ़ाई के साथ - साथ व्यवहारिक ज्ञान भी शिक्षक देते थे । एक बार की बात है कि अन्नु के घर में चोरों ने रात्रि में धावा बोल दिया अन्नु वैसे भी देर रात तक पढ़ता था। जैसे ही अन्नु 11 . 12 बजे सोने को हुआ तभी दो चोर चोरी करने उसके घर घुस गये। अन्नु की नींद नहीं लगी थी वह चुपचाप मीठे तेल से भरी हुई शीशी लाया और उसने उसे दरवाजे के आस पास फैला दिया चोर जब भागने लगे त्यों ही धड़ाम से गिर पड़े सामान भी उनका दूर फिक गया बार - बार उठकर भागने की कोशिश करे पर फिर से धड़ाम से गिर पड़े चोर हक्का - बक्का हो ही रहे थे कि अन्नु, अन्नु के पिता व दादा ने उन पर लट्ठों से हमला कर दिया अब तो चोरों की शामत आ गई कुछ ही देर की पिटाई में चोरों ने चीं बोल दिया अन्नु के पिता व दादा जी ने चोरों को बाँधकर गाँव के चौकीदार के हवाले कर दिया अन्नु की होशियारी से उसके घर चोरी होने से बच गई ।
शिक्षायें
( 1 ) आपत्तिकाल में अपने ज्ञान का उपयोग करना चाहिए ।
( 2 ) हमें धैर्य से काम लेना चाहिए ।
( 3 ) ज्ञान का हमेशा हर परिस्थिति में लाभ मिलता है ।
