Shalini Dikshit

Children Stories Drama

4  

Shalini Dikshit

Children Stories Drama

चिप्स

चिप्स

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मैं व्रत के लिए आलू चिप्स तल रही थी और कुछ यादें कूद पड़ी बीच में, यह बात 1998 की है मेरी शादी तय हो चुकी थी मेरी सासू माँ मेरे घर आईं, मैं मेरी मम्मी और सासू माँ बैठे हुए थे मैं सासू माँ से चिपक कर बैठी थी। मम्मी चाय बनाने के लिए उठने लगी तो अम्मा बोलीं नहीं तुम बैठो और मुझे बोला तुम जाकर चाय बनाओ, मम्मी और अम्मा दोनों आपस में घनिष्ठ थीं लेकिन शादी तय हो जाने के कारण शायद मम्मी उनकी बात का विरोध नहीं कर पाईं और मैं किचन में चली गई वरना मम्मी ही जातीं।

मैं नाश्ते का इंतजाम करने लगी मुझे कोई घबराहट नहीं थी लेकिन मम्मी बेचैन हो रही थी बाहर बैठे-बैठे।

मैंने चाय के साथ आलू की पकौड़ी बनाने की सोची बाकी और सब नाश्ता तो घर में था ही बाजार से लाया हुआ।

मेरा देवर जो कि मम्मी के दिल के बहुत करीब था, वह भी घर में ही था क्योंकि वही अम्मा को लेकर आया था वह मम्मी की बेचैनी समझ गया और रसोई घर में आया मुआयना करने स्थिति कंट्रोल में देखकर बाहर जाकर मम्मी को इशारा करके सब समझा दिया तो मम्मी ने भी उसको इशारा कर दिया कि तुम अंदर ही रहो रसोई घर में।

तो मैं बना रही थी आलू की पकौड़ी थोड़ी बन जाने के बाद बेसन कम हो गया आलू ज्यादा लग रहे थे, मैंने बेसन का घोल पतला कर लिया और अंत में बेसन खत्म हो गया तो बचे हुए चिप्स यूं ही तलने लगी बिना बेसन के, तेल में डालने ही जा रही थी कि मेरे देवर ने मुझे रोक लिया बोला पहले कपड़े से पानी सुखा लो वरना पानी के कारण तेल में आवाज आएगी और बाहर से अम्मा की आवाज आएगी-

यह क्या कर दिया। 

हम दोनों को हंसी आ गई फिर मैंने पानी सुखाकर चिप्स तले।

इस तरह तीन प्रकार का नाश्ता तैयार हो गया एक पकौड़ी दूसरे कम बेसन वाली तीसरे आलू के चिप्स मैं उनको तीन अलग-अलग प्लेटो में रखकर बाहर ले गई । मैं चाय लेने वापस अंदर आई उधर नाश्ता देखकर अम्मा, मम्मी से बोली देखो कितनी होशियार है इन्हीं दो चीजों से तीन तरह के नाश्ते तैयार कर दिए कोई भी चीज बचने नहीं दी तुम ही उसको बेवकूफ समझती हो, पता नहीं क्यों इतनी देर से मन में घबराहट लिए बैठी थी।

मेरा देवर मुझसे बोला बहुत जलवे बिखर रहे हैं अभी जाकर बोलता हूँ पानी सुखाने को मैंने बोला था, मैंने किचन में रखा चाकू उसकी तरफ घुमा दिया वह मुँह पर उंगली रख कर बाहर भाग गया। मैं चाय लेकर गई तो मम्मी के चेहरे पर एक बहुत प्यारी मुस्कान और संतुष्ट थी आज चिप्स बनाते समय मुझे वही मुस्कान याद आ गई और फिर मैं भी मुस्कुरा दी, शायद यही उनका मकसद था कि मैं खुशी से रहूँ तभी यह स्मृति आज लें आईं मेरे दिमाग में।


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