चिड़िया
चिड़िया
घर में रोशनदान पर उसने अंडे दिये थे-अंडे में से बच्चे निकले थे और अब वो जब भी आती है अपने घोंसले में, बच्चे तेज़ आवाज़ में चीं चीं की आवाज़ करते हैं। कुछ देर वो बैठी रहती थी अपने बच्चों के साथ, उन्हें निहारती रहती थी, बच्चे खामोश हो जाया करते थे, फिर उड़ जाया करती थी। फिर जैसे ही वो आती बच्चे अपनी आवाज़ में बोलने लगते थे। खुली हुई उनकी चोंचे, लाल रंग की लंबी गरदन बड़े प्यारे लगते थे उसके बच्चे। वो चुप चाप बैठी उनकी आवाज़ सुनती, कुछ देर वहीं रहती फिर उड़ जाया करती। फिर जब आती बच्चे फिर चीं चीं की आवाज़ करने लगते। चिड़ियों की भाषा अगर मैं समझता तो जान पाता उसके बच्चे उससे क्या कहते हैं। दाना मांगते है या उसके साथ उड़ जाने की इच्छा व्यक्त करते हैं, या फिर उनको छोड़कर कहीं न जाने की प्रार्थना करते हैं। कितनी पास है वो चिड़िया मेरे, घर मे ही पर मैं कितना अनभिज्ञ हूँ उसके संसार से।
