अभी तक वह जैसा भी था पर अब तो वह नए साल से एक नई शुरुआत करना चाहता था।
“तो क्या आप सच में हो ?” प्रखर ने पूछा तो शक्तिमान ने हँसते हुए कहा- “तुम ही बताओ ?”
आज उसके मस्तिष्क से अपराधबोध का बोझ भी उतर चुका था।
अब मुझे समझ में आ रहा था कि ननकी ने मजदूर बुलाने के लिए क्यों कहा था।
कुछ दिनों के बाद मेरी दाँत निकल आयी और औरों की भी।
वह फिर से स्नोबाइट बन जाती है और सिंड्रेला फिर से सिंड्रेला बन जाती है।