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Uma Shukla

Children Stories

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Uma Shukla

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बुढ़ापे की सनक

बुढ़ापे की सनक

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डॉक्टर शक्तावत जब रिटायर हुए तो उन्होंने अपने परिवार के समक्ष ये इच्छा जाहिर की,कि वे अपने पैतृक गांव में एक छोटी सी डिस्पेंसरी खोलना चाहते हैं।

उनका बड़ा बेटा अनुज बोला"पापा अब इस उम्र में आपको काम करने की क्या आवश्यकता है ,भगवान का दिया हुआ सबकुछ तो हमारे पास है अब आप आराम कीजिये।"

डॉक्टर शक्तावत बोले"बेटा हर काम पैसा कमाने के लिए नहीं किया जाता ,कुछ काम मानसिक सन्तोष के लिए भी किये जाते हैं ।"

 मिसेस शक्तावत बोलीं"आप भी न बुढ़ापे में सनक गए हैं तभी ऐसी बातें कर रहे हैं पूरे जीवन हम शहर में रहे अब इस उम्र में गाँव में कैसे रह पाएंगे?"

डॉक्टर शक्तावत बोले" अब तुम इसे सनक कहो या कुछ ओर पर मैं अब अपने गाँव में रहकर उन लोगों की सेवा करूँगा तुम चाहो तो यहाँ रह सकती हो।"

छोटा बेटा बोला"पर पापा अगर डिस्पेंसरी ही खोलना है तो वो तो आप यहाँ भी खोल सकते हैं ।"

डॉक्टर शक्तावत बोले"बेटा यहाँ शहरों में तो कई डॉक्टर हैं पर बेचारे ग्रामीण लोगो को अपनी छोटी-छोटी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए शहर आना होता है और कई तो ईलाज मिलने से पहले ही भगवान को प्यारे हो जाते हैं ,इस उम्र में उन लोगों की सेवा से पुनीत और क्या कर्म होगा ?अब तुम इसे सनक कहो या कुछ ओर पर ये मेरा अडिग फैसला है।"

    


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