MITHILESH NAG

Children Stories

5.0  

MITHILESH NAG

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बुढ़ापे की सनक

बुढ़ापे की सनक

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खटिये पर पड़े पड़े राममूरत पगला गया, लेकिन करे भी क्या उम्र भी तो 80 साल है,कुछ भी करते रहते ,जब देखो कुछ ना कुछ दूधनाथ से बोलते रहते थे ।

“अच्छा दूधनाथ अगर हम कोई काम ही शुरू करें तो कितना अच्छा रहेगा”।

“क्या बोल रहे हो बाबा,इस उम्र में वो भी काम करेंगे क्या सनक गए हो!”

“अच्छा जाने दो मैं तो ऐसे ही बोल रहा था। "(सो जाता है)

राममूरत का एक लड़का और एक पोता है। पोता दादा के साथ खेलने में मगन रहता है। लेकिन अमित की बीबी मीना गुस्सा करती है कि क्यों रोहन बार बार अपने दादा के साथ ही रहता है।

एक दिन....

एक दिन राममूरत को किसी काम से बाजार जाना था,लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। और इधर उधर देखते हैं कि अमित कहाँ है।

“अमित ओ अमित कहाँ हो बेटा,”।

“बोलो पिता जी, क्यो दिन भर चिल्लाते रहते हो”। क्या चुप नहीं रह सकते हो” ( चिल्लाते हुए)।

“वाह बेटा ! जब बचपन मे तुम रोते और चिल्लाते रहते थे तो मैं प्यार से तुम को गोद में लेकर लोरी सुनाता था और आज इस तरह से”

“तो क्या तब की बात कुछ और था,अब तुम बूढ़े हो गए हो तो कम से कम खाने पीने तक ही सोचा करो और कुछ नहीं”।

“ठीक है,बेटा अब तुम जैसे भी बोलोगे वो ही सच होगा”।

और अमित बिना कुछ बोले चला गया, मीना भी बोलने से कैसे पीछे रहती ।

“बे काम के चिल्लाते हैं, खुद तो दिन रात खटिए पर पड़े रहते हैं और जो दिन भर बाहर मेहनत करता है उसको भी चैन से जीने नहीं देते”।

और अपने रूम में चली जाती है,कुछ दूर पर रोहन खड़ा सब देख रहा था। वो मासूम बच्चा 6 साल का उसको कुछ समझ मे तो नहीं आया लेकिन फिर भी नन्हे नन्हे कदमों से अपने दादा के पास आता है।

“दादा जी... पापा बहुत बुरे हैं ना, आप पर जब देखो चिल्लाने लगते हैं (रोते हुए)।

“अरे ! नहीं मेरे राजा बेटा वो बहुत परेशान रहते हैं ना इसलिए वो गुस्सा करने लगते हैं

और उसको अपने गोद मे बैठा लेते हैं प्यार भरे हाथो से सर सहलाते हैं।

कुछ समय बाद....

हर बार की तरह राममूरत को अमित से पैसे के कारण लज्जित होना पड़ता था। और इसलिए वोदूधनाथ को अपने पास बुलाते हैं।

“देखोदूधनाथ... भले मेरी उम्र 80 साल हो गयी है लेकिन आज भी मैं कुछ कर सकता हूँ। हर समय मेरा अपना बेटा और बहू मुझे अपमानित करते हैं "

“बाबा कर भी क्या सकते हैं”। (उनके बगल बैठ कर)।

“तो क्या करेंगे बाबा?”।

राममूरत उसको बिना बोले बस कहता इतना कहता है कि “मैं कुछ दिन बाहर जा रहा हूँ।लेकिन ये बात किसी को मत बोलना ।

“ठीक है”।

औरदूधनाथ को लगा कि कुछ दिन में बाबा आ जायेगें लेकिन समय बीतता गया । 

“अच्छा हुआ, तुम्हारे पिता यहां से चले गए.. वरना जब देखो कुछ ना कुछ बोलते रहते थे”

“लेकिन मम्मी दादा जी बहुत अच्छे है वो तो सब को प्यार करते हैं।“

उसको समझाते हुए पढ़ाई पर ध्यान देने को कहती है।


1 साल बाद....

बिना किसी की मदद के राममूरत एक फैक्टरी में काम करते थे और वो भी हर किसी से ज्यादा ही करते रहते थे। पता नहीं बुढ़ापे में किस बात की सनक हो गयी कि काम करने लगे ।

कुछ समय ऐसे ही दूसरे के दुकान और फैक्टरी में राममूरत काम करते रहे।

“यार गजब का आदमी है बुढ़ापे में पता नहीं क्या सनक हो गयी है कि काम कर रहे हैं" ( दो आदमी आपस मे बात करते)

बाजार में.....

दिन रात राममूरत एक छोटे से किराये के घर मे मसाला बना कर एक पुड़िया पैक करते फिर घर घर जा कर उसको बेचते।

कुछ लोग लेते थे तो कुछ लोग नहीं भी लेते थे।

कितने लोग तो बोल देते थे कि क्या सनक है बुढ़ापे में पता नहीं किसके लिए कमा रहे हैं।

लेकिन वो अपनी धुन में और उस बात को याद करते थे कि खटिये पर दिन रात पड़े रहते थे । तो उस विचार को भी निकाल कर आखिर एक दिन अपने पोते के नाम का रोहन मशाला बाजार में बेचते हैं ,देखते ही देखते उनका पूरा का पूरा मसाला बिक गया.

दिन जब वो बाजार में थे तभी रोहन की नजर अपने दादा जी पर पड़ी और वो...

“दादा जी...” ( खुश हो कर उनके गले लग जाता है)

दादा भी अपने पोते को देख कर रोने लगते हैं .

“रोहन बेटा तुम्हारा दादा बहुत जिद्दी है, वो बूढ़ा हो गया है लेकिन अभी भी बुढ़ापे में जिद्दी पन तो रहेगा ही। 

अपने बेटे को और बहू को सुना रहे थे लेकिन एक भी शब्द नही बोला ऊपर सेदूधनाथ भी जब बाबा को देखा तो गले लगा लेता है।

लेकिन समय के साथ साथ आज बुढ़ापे की सनक की वजह वो अमीर और समाज मे एक नाम भी बना लिया ।


“कहते हैं उम्र कुछ भी हो लेकिन अगर करने की लगन हो तो कुछ भी कर सकते है। दुनिया मे ऐसा कोई काम ही नही बना है जो आप न कर सकें ।।



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