Meera Ramnivas

Children Stories

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बुद्धि का बल

बुद्धि का बल

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एक दिन उमा की मां रसोईघर में खाना पका रही थी। उसने धर के पिछवाड़े से आती हुई कुछ आवाजें सुनी। आवाजें रसोई के पिछवाड़े में बने रूम से आ रही थीं। आवाजें चूहे और बिल्ली की थीं। स्टोर रूम खाली पड़ा था। उसमें बिल्ली और चूहे ने डेरा डाल रखा था। लेकिन बिल्ली और चूहे के अलावा एक तीसरी आवाज भी थी। ये तीसरा कौन है? उमा की मां अचंभित थी। 

    वो जो कोई भी था चूहा और बिल्ली दोनों उसे भाग जाने को कह रहे थे। उमा ने बिना किसी आहट के पिछवाड़े में जाकर झांका तो पाया कि बिल्ली और चूहा एक मोटे बिल्ले से कह रहे थे " भाग यहाँ से, जिन पैरों से आया है उन्हीं पैरों से वापस चला जा, वरना अच्छा नहीं होगा" बिल्ले ने उमा की मां को आते देख लिया और वह भाग निकला,

     लेकिन जाते-जाते बिल्ली को धमकी दे गया "ठीक है अभी तो जा रहा हूँ, लेकिन कल फिर आऊँगा" नहीं तुम यहाँ कभी नहीं आओगे समझे चूहे ने कहा। बिल्ला भागते हुए नजर आया। 

      चूंकि रूम खाली पड़ा था, इसीलिए पहले बिल्ली आई। खिड़की से प्रवेश कर न जाने कब से रूम में रहने लगी ।एक रोज रूम से बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनाई दी। दरवाजा खोला तो पाया टोकरी में बिल्ली के चार बच्चे बैठे थे। उमा की मां को दया आई ।उन्होंने बिल्ली को दूघ रोटी खिलाना शुरू कर दिया। और वो उमा के घर की होकर रह गई। उमा बिल्ली के बच्चों संग खेलने लगी ।बिल्ली के बच्चे बड़े होकर नये घर चले गए। लेकिन बिल्ली कहीं नहीं गई ।

  बिल्ली सुबह, दोपहर, शाम रसोई के दरवाजे पर आकर म्यांऊ म्यांऊ करती। उमा दूध रोटी दे देती। खाकर वह कम्पाउंड में यहां वहां बैठी रहती। 

        उमा पौधों को पानी पिलाने, पूजा के लिए फूल या तुलसी पुदीना तोड़ने जाती। बिल्ली म्याऊं म्याऊं करती। जैसे पालतू हो। घर के किसी भी सदस्य से न डरती। बच्चे उसे छूते उसके साथ खेलते कुछ ना कहती।

     कुछ दिन बाद बिल्ली एक चूहे के बच्चे को साथ लेकर आई। दोनों को साथ देखकर उमा की मां को आश्चर्य हुआ। बिल्ली मासूम सूरत लिए खड़ी थी। जैसे वह कह रही हो बेचारा माँ बाप से बिछुड़ गया है। कृपया इसे भी यहाँ रहने दीजिए। 


     उमा की मां दोनों को दूध रोटी देने लगी। दोनों साथ खाते खेलते। रसोई और कमरे के बीच खड़े आम के पेड़ पर टाॅम और जैरी की तरह भाग दौड़ करते। बिल्ली में एक अच्छी आदत थी वह पेड़ पर रहने वाले प्राणियों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाती थी। उमा को अब दो दोस्त मिल गये थे। बिल्ली उमा के आगे पीछे घूमती।

    उस दिन उमा की मां रसोई में काम कर रही थी। चूहे की रोने की आवाज आई।वह रोते हुए कह रहा था। "मेरी माँ मुझे ढूंढ रही होगी।मुझे माँ की याद आ रही है" बिल्ली उसे सांत्वना दे रही थी। ठीक है माँ ढूंढती आ जाये तो चले जाना।यूँ अकेले तुम्हारा बाहर जाना ठीक नहीं । इतने में फिर वह मोटा बिल्ला आ धमका। चूहे की तरफ लपका। चूहा झट से भाग कर बिल्ली के पीछे छुप गया ।बिल्ली ने उसे ड़रा कर भगा दिया ।

     वो फिर आयेगा, हम क्या करेंगे। चूहे ने डरते हुए कहा। तुम ठीक कहते हो। बिल्ले को सबक सिखाना होगा। लेकिन वो हम दोनों से ताकतवर है ।हमें बुद्धि का प्रयोग करना होगा। बिल्ली उपाय ढूंढने लगी।

      पड़ोस में दया आंटी रहती थी। वो बिल्ली, बिल्ले से बहुत चिढ़ती थी। आवाज सुनते ही डंडा लेकर दौड़ती। चूहा गणेश जी का वाहन है। आंटी चूहों को नहीं मारती थीं। बिल्ला उनके घर की दीवार लांघ कर आया करता था। 

     बिल्ली ने आंटी की इस बात को हथियार बना योजना बनाई। चूहे को अपनी योजना समझाते हुए कहा " हमें बिल्ले पर नजर रखनी होगी । वो आयेगा, तुम्हें आंटी के घर के दरवाज़े पर सांस रोक कर लेट जाना है। मरने की एक्टिंग करनी है। जैसे ही बिल्ला आएगा। मैं म्यांऊं म्याऊं करूँगी। आंटी डंडा लेकर आयेगी। तुम्हें मरा हुआ देख बिल्ले को दंडा मारेगी। वह डर जायेगा फिर नहीं आयेगा। आंटी नहीं आई, मुझे खा गया तो। डरो मत मैं पास ही छुप कर खड़ी रहूंगी। तुरंत मुंह में दबा कर घर ले आऊँगी। 

      बिल्ला आया, बिल्ली ने म्याऊं म्याऊं करके आंटी का ध्यान बाहर की तरफ आकर्षित किया। चूहे ने मरने का अभिनय किया। चूहे को देख आंटी को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने जोर से डंडा फेंक कर बिल्ले पर वार किया। डंडा जोर से बिल्ले की पीठ पर जाकर पड़ा। उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। वह दुम दबा कर भाग गया। चूहा भी वहाँ से भाग निकला ।

    आंटी ने दीवार को ऊंचा कर दिया। अपने बुद्धि बल से चूहे और बिल्ली ने दुश्मन से छुटकारा पा लिया था। जहाँ तन की ताकत काम नहीं आती, वहां बुद्धि का बल काम आता है।



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