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Harish Sharma

Children Stories

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Harish Sharma

Children Stories

बोलने दो

बोलने दो

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आसमान तारों से भरा है। कनु खुली छत पर अपने पिता जी की बगल में चारपाई पर लेटा है। पिता जी उसकी चुप्पी को जैसे पढ़ लेते हैं। आसमान में कहीं बहुत ऊपर तारों के बीच जाते एक हवाई जहाज की लाइट टिमटिमा रही है।

"कनु बेटे वो देख रहे हो, दूर जाते हवाई जहाज को," पिता उसकी चुप्पी को तोड़ने का प्रयास करते हैं।

"हाँ, दिख रहा है, रोज ही रात को जाया करता है," कनु जैसे ज्यादा बात करने के मूड में नहीं हैं।

"अच्छा आज फिर स्कूल में क्या हुआ, मैम ने कोई नई कहानी नहीं सुनाई," पिता फिर दूसरी कक्षा में पढ़ते अपने बेटे कनु को पूछते हैं।

"नहीं सुनाई, आज बस वो स्वच्छता अभियान के बारे में बताया था।"

"क्या बताया था, हमें भी बताओ।"

"बस यही कि हमें अपने आसपास सफाई रखनी चाहिए, कूड़ा नहीं फैलाना चाहिए, वैसे भी हमारी क्लास में तो बच्चे अपने फालतू कागज और पेंसिल के छिलकों को अपने बैग में ही रख लेते हैं और फिर डस्टबिन में फेंका करते हैं।"

"अच्छा फिर तो बड़े अच्छे बच्चे हैं कक्षा के, है कि नहीं।"

"हाँ... वो तो है।"

"कहीं क्या बुरा भी है कोई ??"

पिता ने जैसे उसके मन को टटोला।

"पापा देखो, राहुल है न मुझे छोटू-छोटू कहता रहता है, मैं तो उसके साथ बैठता भी नहीं। खुद वो मोटू है पर मैंने उसे कभी ऐसा नहीं कहा," कनु ने अपना दुख जैसे अब प्रकट किया।

"बेटा देखो, अगर तुम्हें कोई कुछ कहता है जो तुम्हें अच्छा नहीं लगता, तो उसकी बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए। चिड़िया चहकती है, कोयल गाती है, कौआ कांय-कांय करता है, हम सभी को सुनते हैं पर हमें जो अच्छा लगता है, हम उसी को अच्छा कहते हैं और दूसरे को बुरा। अब तुम्हें राहुल की बात अच्छी नहीं लगती तो उसे सुनो ही मत, बोलते रहने दो। पर अगर उस पर ज्यादा ध्यान दोगे तो उसे लगेगा कि उसके कहने से तुम्हें फर्क पड़ रहा है, पर अगर उसकी तरफ ध्यान नहीं दोगे तो वो अपने आप ही चुप हो जाएगा। तुम अच्छे बच्चे हो, तुम्हें ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। बाकि इस बार जब पेरेंट-टीचर मीटिंग होगी तो मैं इस बारे में तुम्हारी क्लास-टीचर से बात कर लूँगा।"

"नहीं पापा, आपकी बात ठीक है। मुझे उसकी तरफ ध्यान ही नहीं देना चाहिए। खैर वो है तो मेरा दोस्त ही, जब उसका होमवर्क पूरा नहीं होता तो मुझसे ही कापी माँगता है। बस थोड़ा शरारती है।" अब कनु थोड़ा सहज हो गया था।

"हाँ बेटे, तू तो कभी शरारत करता ही नहीं, है न ...." पापा ने जैसे उसे छेड़ा।

कनु अब वाकई शरारत के मूड में था। वह पापा के पेट पर बैठ गया।

"अच्छा चलिए, अब आप मुझे एलियन वाली कहानी सुनाइये जो दूसरे ग्रहों पर रहते हैं, नहीं तो मैं आपको सोने नहीं दूँगा।"

पिता ने उसे प्यार से बगल में लिटाया और अपनी एक बाँह उसके सिर के नीचे रखी। फिर आसमान की तरफ देखते हुए दोनों कहानियों में खो गए।


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