ब्लैक कॉफ़ी और तुम्हारा साथ
ब्लैक कॉफ़ी और तुम्हारा साथ
कोर्ट केस का आखिरी दिन था, नियम और नियति आज अलग होने वाले थे कभी ना मिलने के लिए।
जज ने फैसला सुनाया और दोनों के रास्ते अलग हो गए। प्यार, भावनाएं सब खत्म हो चुकी थी दोनों के बीच बस....कुछ बचा था तो वो था नियति का सामान जो आज भी नियम के घर पर पड़ा था। नियम ने नियति को साथ चलने को कहा लेकिन नियति ने अकेले जाने का फैसला लिया।
एक टैक्सी लेकर नियति चल पड़ी नियम के घर, हां नियम का ही तो घर था अब वो। जाते जाते वो अतीत की यादों में खो गई, अपनी सहेली नीति के घर पर मुलाक़ात हुई थी नियम से उसकी, नियम ने ही उन दोनों की पसंदीदा ब्लैक कॉफी बना कर पिलाई थी। नियति को ब्लैक कॉफी बहुत पसंद थी ....बस यही कारण था कि वो नियम को पसंद करने लगी थी। नियम तो पहले से ही उसको पसंद करता था और उसी के लिए नियम ने ब्लैक कॉफी बनानी और पीनी सीखी थी, ये बात नीति से उसको बहुत बाद में पता चली थी।
दोनों जल्दी ही शादी के बंधन में बंध गए, नियति जब भी थक कर ऑफ़िस या किसी काम से लौटती तो नियम उसकी आल टाइम फेवरेट कॉफी बना कर पिलाता, जिससे उसकी पूरी थकान उतर जाती लेकिन धीरे धीरे दोनों में झगड़े शुरू हो गये। नियति को लगने लगा कि नियम बदल गया है और अब उसको पहले की तरह समय नहीं देता है। नियम को लगता कि नियति अपनी बड़ी नौकरी और ऊँचे पद पर घमंड करने लगी है। पैसे भी उसको नियम से ज्यादा मिलते थे इसलिए वो घर के लिए कुछ भी करती या बोलती तो नियम को लगता कि उसको छोटा दिखाने की कोशिश कर रही है, बस दूरियाँ बढ़ती गई और आज वो लिखित रूप से अलग हो चुके थे। सोचते सोचते वो नियम के घर पहुंच चुकी थी।
जिस घर को अपने हाथों से सजाया था, आज वही घर नियम का घर बन चुका था। नियति अंदर गई तो देखा नियम कमरे में लगी उन दोनों की तस्वीर को देख रहा है। नियति को आते देख आँसू पोछते हुए वो बोला जो जो सामान लेना है ले लो और कहते हुए दूसरे कमरे में चला गया।
नियति भी उसके पीछे पीछे कमरे में गई तो नियम ने गुस्से में कहा, अब क्या चाहती हो तुम मेरे से....
नियति ने कहा, "मेरी फेवरेट ब्लैक कॉफी और तुम्हारा साथ" कहते हुए नियति जाकर नियम के गले से लिपट गई।
